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Jhansi  मटर में नमी से  फीसदी नुकसान

 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  रबी की फसलें कट रहीं और मटर की भी कटाई हो रही है. केन्द्रीय कृषि विवि के जानकारों ने कहा कि यदि किसान मटर का उचित भंडारण कर लें तो उनकी फसलें सुरक्षित रहेगी. नमीं से होने वाला नुकसान भी बचेगा.

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मटर का सुरक्षित भंडारण करने सलाह जारी की. कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार राय व डॉ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि इस समय किसानों ने मटर की कटाई शुरू कर दी. फसलों की कटाई के बाद कुछ समय के लिए उनका भंडारण करना होता. कटाई से अगली बुवाई तक या कटाई से बेचने तक होता है.

भंडारण की सही जानकारी न होने के कारण 20- प्रतिशत तक मटर नमीं, घुन, चूहों द्वारा नष्ट हो जाता है. इसलिए मटर को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए गोदाम की सफाई कर दीमक और पुराने अवशेष आदि को बाहर निकालकर जलाकर नष्ट कर दें. गोदामों की दीवारों, फर्श एवं जमीन आदि में यदि दरार हो तो उन्हें सीमेंट, ईंट से बंद कर दें. मटर को अच्छी तरह से साफ-सुथरा कर धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे कि दानों में 10 फीसदी से अधिक नमीं न रहने पाए. अनाज में ज्यादा नमीं रहने से फफूंद एवं कीटों का हमला अधिक होता है. अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज करें तो समझना चाहिए कि अनाज सूख गया है. भण्डार से पूर्व पक्का भण्डार गृह को साफ-सुथरा कर लेना चाहिए एवं कीटमुक्त करने के लिए मेलाथियान 50 ईसी 1 लीटर दवा को 100 लीटर पानी में घोलकर दीवारों एवं फर्श पर प्रति एक सौ वर्ग मीटर में तीन बार घोल का छिड़काव करें.

 

 

झाँसी  न्यूज़ डेस्क