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झालावाड़ में जर्जर स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत, ग्रामीणों ने पहले भी की थी शिकायत

 

जिले के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुई दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। इस हादसे में 7 मासूम बच्चों की जान चली गई और 27 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस बीच, स्कूल की बिल्डिंग की हालत बहुत ही जर्जर थी और ग्रामीणों ने इसकी कई बार शिकायत भी की थी, लेकिन किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई।

ग्रामीणों की शिकायतें पर प्रशासन की अनदेखी

पिपलोदी गांव के लोगों ने बताया कि स्कूल की छत पहले भी कई बार गिरने की घटनाएं हो चुकी थीं। खासकर पत्थर गिरने की शिकायतें कई बार स्कूल प्रशासन, सरपंच और जिला अधिकारियों तक पहुंचाई गईं, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर ध्यान दिया गया होता तो यह दर्दनाक हादसा टाला जा सकता था।

मरम्मत के लिए मिली रकम का संदिग्ध उपयोग

स्कूल की बदहाल स्थिति के पीछे कथित लापरवाही की एक बड़ी वजह यह भी सामने आई है कि वर्ष 2023 में डांग क्षेत्र विकास योजना के तहत इस स्कूल के लिए मरम्मत कार्य के नाम पर 1 लाख 80 हजार रुपये की राशि जारी की गई थी। हालांकि, गांव के लोगों और अधिकारियों के अनुसार इस रकम का सही उपयोग नहीं हुआ। मरम्मत या सुधार कार्य सही तरीके से नहीं किए जाने के कारण ही भवन जर्जर स्थिति में पहुंच गया, जिससे अंततः छत गिरने जैसा भयानक हादसा हुआ।

गंभीर सवाल खड़े

यह मामला शिक्षा विभाग की जवाबदेही और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। गरीब और आदिवासी बहुल इलाके में चल रहे इस स्कूल की जर्जर हालत और मरम्मत के नाम पर जारी राशि के दुरुपयोग की जांच की मांग अब जोर पकड़ रही है। मृतकों के परिजन और गांव के लोग दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

प्रशासन की ओर से जांच का ऐलान

झालावाड़ प्रशासन ने भी इस हादसे को लेकर जांच के आदेश दे दिए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि मरम्मत के लिए जारी राशि के उपयोग और स्कूल भवन की खराब स्थिति का भी विस्तृत रूप से अध्ययन किया जाएगा। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।