वीडियो में देखें अरावली मामले में कांग्रेस का भाजपा पर हमला, डोटासरा बोले— देश की संपदाओं को लूटने की साजिश
अरावली पर्वतमाला से जुड़े मामले को लेकर राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। डोटासरा ने कहा कि देश की प्राकृतिक और राष्ट्रीय संपदाओं को संगठित रूप से लूटने का काम किया जा रहा है, और अरावली पर्वतमाला के मामले में भाजपा ने अपनी साजिश को अंजाम दे दिया है।
डोटासरा ने कहा कि नए मामले में अरावली पर्वतमाला को नुकसान पहुंचाने और उसके संरक्षण को कमजोर करने का षड्यंत्र पूरी तरह से पूरा कर लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से इस तरह के प्रयास लंबे समय से किए जा रहे थे, लेकिन अब सत्ता और पदों के माध्यम से इसे सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ाया गया है।
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्य सरकार में की गई नियुक्तियों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अलवर से सांसद भूपेंद्र यादव को केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री बनाया गया, जबकि अलवर से ही संजय शर्मा को राज्य सरकार में वन मंत्री का दायित्व सौंपा गया। डोटासरा के अनुसार, यह सब कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
डोटासरा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में जानबूझकर अनुभवहीन व्यक्तियों को सत्ता सौंपी गई, ताकि वे अपने विवेक का स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल न कर सकें। उन्होंने कहा कि ऐसे मंत्री केंद्र सरकार के इशारों पर काम करते हुए हर उस फैसले में सहयोग करेंगे, जो भाजपा की मंशा के अनुरूप हो, भले ही उससे पर्यावरण और प्राकृतिक धरोहरों को नुकसान पहुंचे।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि अरावली पर्वतमाला न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद भाजपा सरकार विकास के नाम पर पर्यावरणीय नियमों को कमजोर कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अरावली का संरक्षण नहीं किया गया, तो इसका गंभीर असर जलस्तर, जलवायु और भविष्य की पीढ़ियों पर पड़ेगा।
डोटासरा ने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की कि अरावली पर्वतमाला से जुड़े सभी निर्णयों को सार्वजनिक किया जाए और विशेषज्ञों की राय के आधार पर पारदर्शी नीति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और जरूरत पड़ी तो आंदोलन के जरिए जनता की आवाज को बुलंद करेगी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अरावली को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच टकराव आने वाले समय में और तेज हो सकता है। यह मुद्दा न केवल पर्यावरण से जुड़ा है, बल्कि इससे जुड़े फैसले राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर भी बड़ा असर डाल सकते हैं।