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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 17 जुलाई को आएंगे जयपुर, वीडियो में जानें सहकारिता सम्मेलन का करेंगे उद्घाटन

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह का जयपुर दौरा 17 जुलाई को निर्धारित हो गया है। इस दौरान वे जयपुर में आयोजित होने वाले सहकारिता सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन केंद्र सरकार की सहकारिता नीति के तहत राजस्थान में सहकारी संस्थाओं को मजबूती देने और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

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अधिकारियों के अनुसार, यह सम्मेलन राजस्थान के सहकारी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, किसानों, सहकारी समितियों, दुग्ध उत्पादक संगठनों और अन्य हितधारकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। इसमें राज्य स्तर पर सहकारिता को लेकर चल रही योजनाओं की समीक्षा के साथ-साथ केंद्र की नई पहलों की जानकारी भी दी जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की तैयारी का हिस्सा
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किया है। इसी के तहत देशभर में सहकारिता जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस दिशा में सक्रियता दिखाते हुए राज्यों को सहकारिता क्षेत्र से संबंधित 54 कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी है, जिनमें प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS), दुग्ध समितियों, विपणन, खाद्य प्रसंस्करण, लोन वितरण, डिजिटल प्लेटफॉर्म आदि का विकास शामिल है।

राजस्थान को सहकारिता के क्षेत्र में आगे लाने की कोशिश
राजस्थान जैसे बड़े और कृषि प्रधान राज्य में सहकारिता की भूमिका बेहद अहम है। केंद्र सरकार चाहती है कि सहकारी संस्थाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बनें। इस सम्मेलन के जरिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय को और बेहतर किया जाएगा ताकि योजनाओं को धरातल पर प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।

राज्य सरकार की भागीदारी और विशेष प्रस्तुतियां
सम्मेलन में राजस्थान सरकार के सहकारिता विभाग के अधिकारी, विभिन्न जिलों के सहकारी समितियों के प्रतिनिधि और सहकारी बैंकों के पदाधिकारी भाग लेंगे। इसके अलावा, केंद्र सरकार की ओर से संचालित मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज और नैफेड, इफको, अमूल जैसी प्रमुख सहकारी संस्थाओं की प्रस्तुतियां भी रखी जाएंगी।

राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है दौरा
अमित शाह का यह दौरा सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। राज्य में सहकारिता क्षेत्र से जुड़े मतदाताओं को साधने और आगामी पंचायत व निकाय चुनावों में सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ मजबूत करने की मंशा भी इसके पीछे देखी जा रही है।