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राजस्थान के जलदाय विभाग में करोड़ों का घोटाला, हैंडपंप सुधार और नलकूप गहराई में भी फर्जीवाड़े का वीडियो आया सामने

 

राजस्थान के जलदाय विभाग में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से बिना कोई कार्य किए ही करीब ढाई करोड़ रुपये के बिल उठाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा हैंडपंप सुधार और नलकूपों की खुदाई के नाम पर किया गया है। जांच में यह खुलासा हुआ कि जिन 300 से ज्यादा हैंडपंपों को दुरुस्त करने का दावा किया गया था, उनमें से एक भी हैंडपंप ठीक हालत में नहीं पाया गया।

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फर्जी मरम्मत के नाम पर करोड़ों की लूट

जानकारी के अनुसार, विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में हैंडपंपों की मरम्मत और नलकूपों की गहराई बढ़ाने का ठेका कुछ निजी कंपनियों को दिया था। कार्यादेश के अनुसार, 300 से अधिक हैंडपंपों की मरम्मत होनी थी और कई स्थानों पर नलकूपों की खुदाई या गहराई बढ़ाने का कार्य किया जाना था। लेकिन जब मौके पर जांच की गई तो न सिर्फ हैंडपंप जस के तस पाए गए, बल्कि जिन स्थानों पर नलकूपों की खुदाई दिखाई गई थी, वहां जमीन तक नहीं खुदी थी।

जांच में खुली पोल

राज्य सरकार द्वारा गठित जांच समिति ने जब संबंधित क्षेत्रों का दौरा किया और रिकॉर्ड का मिलान किया, तब यह घोटाला सामने आया। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारी और ठेकेदारों ने मिलकर दस्तावेजों में फर्जी काम दिखाया और विभाग से करीब 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान हासिल कर लिया।

दस्तावेजों में हेराफेरी और बिलों का भुगतान

जांच रिपोर्ट के अनुसार, न केवल फर्जी मरम्मत कार्य दिखाया गया बल्कि नलकूपों की गहराई में भी हेराफेरी की गई। जिन नलकूपों की गहराई 100 फीट दर्ज की गई, वे वास्तव में 60 फीट से ज्यादा नहीं निकले। बावजूद इसके, 100 फीट की खुदाई के अनुसार भुगतान कर दिया गया।

प्रशासन में हड़कंप, कार्रवाई की तैयारी

जैसे ही यह मामला उजागर हुआ, विभाग में हड़कंप मच गया है। उच्च स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारियों को निलंबित करने और एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश की जा चुकी है। जलदाय विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।