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राजस्थान की दुग्ध उत्पादन में शीर्ष स्थान पाने की योजना

 

राजस्थान देश में दुग्ध उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है, लेकिन राज्य सरकार उत्तरप्रदेश से इस प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने के लिए नई योजनाओं पर काम कर रही है। वर्तमान में, उत्तरप्रदेश पहले स्थान पर है, जबकि मध्यप्रदेश और गुजरात क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। राजस्थान को दुग्ध उत्पादन में सिरमौर बनने के लिए ग्राम स्तर पर प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए योजनाएं

राज्य सरकार ने दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया है, जिनका उद्देश्य ग्राम स्तर पर दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना है। इन योजनाओं में सहकारी समितियों को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है ताकि दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य और बेहतर संसाधन मिल सकें। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने दुग्ध उत्पादन को आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी बनाने के लिए तकनीकी सुधार और प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बनाई है।

ग्राम स्तर पर सहकारी समितियों की भूमिका

राज्य सरकार का मानना है कि ग्राम स्तर पर प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों की भागीदारी बढ़ाने से दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होगा। ये सहकारी समितियां दुग्ध उत्पादकों को एक मंच प्रदान करेंगी, जहां से वे दुग्ध बिक्री, दुग्ध की गुणवत्ता सुधार और प्रसंस्करण के लिए मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, सहकारी समितियों के जरिए नकद फसलें और बड़ी दुग्ध कंपनियों से प्रतिस्पर्धा में विकास की संभावना को भी बढ़ावा मिलेगा।

दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा फायदा

राज्य सरकार की योजना का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहित करना है। अगर सहकारी समितियां और दुग्ध उत्पादक अधिक संगठित होते हैं, तो वे सामूहिक बिक्री और संचय के जरिए बाजार में अपनी स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। इस प्रयास से दुग्ध उत्पादकों को प्रोसेसिंग और संचयन में अच्छा लाभ मिलेगा और उन्हें बेहतर मूल्य मिल सकेगा।