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राजस्थान हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की हड़ताल पर सुनाया चौकाने वाला फैसला, एक्सक्लूसिव फुटेज में तुरंत काम पर लौटने के दिया आदेश

 

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में चल रही न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए शुक्रवार सुबह तक कर्मचारियों को काम पर लौटने का निर्देश दिया है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की अदालत ने इस संबंध में स्पष्ट टिप्पणी की और कहा कि यदि वकीलों को हड़ताल का अधिकार नहीं है, तो पेड कर्मचारी (वेतनभोगी कर्मचारी) किस आधार पर हड़ताल पर जा सकते हैं।

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यह मामला राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ द्वारा प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में की जा रही हड़ताल से जुड़ा हुआ है। कर्मचारियों की हड़ताल की मांग थी कि उनकी वेतन वृद्धि और अन्य मांगों को तत्काल पूरा किया जाए। हालांकि, राज्य सरकार और उच्च न्यायालय द्वारा कर्मचारियों की मांगों पर उचित कार्रवाई की जा रही थी, फिर भी कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल जारी रखी थी, जिससे अदालतों में कार्य धीमा पड़ गया था।

हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि न्यायिक प्रणाली को कोई भी बाहरी दबाव या विघ्न नहीं डाल सकता। अदालत ने यह भी कहा कि अगर वकीलों को हड़ताल का अधिकार नहीं है, तो फिर न्यायिक कर्मचारियों को किस आधार पर यह अधिकार दिया जा सकता है। अदालत ने यह भी नोट किया कि हड़ताल के कारण न्यायिक कार्य में रुकावट आ रही थी, जो किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं हो सकता।

अदालत का निर्देश:
राजस्थान हाईकोर्ट ने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को शुक्रवार सुबह तक काम पर लौटने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर कर्मचारियों ने आदेश का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्यभर में न्यायिक कार्य फिर से सामान्य होने की उम्मीद जताई जा रही है। कर्मचारियों की हड़ताल ने पहले ही अदालतों में लंबित मामलों को और बढ़ा दिया था, जिससे न्याय की गति पर प्रतिकूल असर पड़ा था।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया:
राज्य सरकार ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया और न्यायिक कर्मचारियों से हड़ताल समाप्त करने की अपील की थी। सरकार ने कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं को लेकर बातचीत के दरवाजे खुले रखने की बात कही थी।

कर्मचारियों का पक्ष:
कर्मचारियों का कहना था कि वे अपनी जायज़ मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद वे काम पर लौटने को तैयार हैं। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि वे अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन भविष्य में अपनी मांगों को लेकर फिर से आवाज़ उठाएंगे।