जयपुर में अमायरा सुसाइड केस में नीरजा मोदी स्कूल का एक्शन, वीडियो में जानें दो टीचरों को पद से हटाया
जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा अमायरा के सुसाइड मामले ने शिक्षा व्यवस्था और स्कूल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले में बढ़ते दबाव और जांच एजेंसियों की सख्ती के बाद स्कूल प्रबंधन ने अमायरा की क्लास टीचर पूनीता शर्मा और गणित विषय की शिक्षिका रचना को उनके पद से हटा दिया है। यह कार्रवाई केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और राज्य शिक्षा विभाग की जांच और नोटिस के बाद की गई है।
अमायरा सुसाइड केस न केवल एक छात्रा की दर्दनाक मौत का मामला है, बल्कि यह स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षकों की भूमिका और प्रबंधन की जिम्मेदारी पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। इस मामले की जांच CBSE और राज्य शिक्षा विभाग—दोनों स्तरों पर की जा रही है। राज्य शिक्षा विभाग ने अपनी जांच पूरी कर ली है और इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षा मंत्री को भी सौंप दी है। रिपोर्ट में स्कूल की कार्यप्रणाली से जुड़ी कई गंभीर खामियां सामने आने की बात कही गई है।
CBSE की ओर से की गई प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट किया गया था कि अमायरा को स्कूल में बुलिंग का सामना करना पड़ रहा था और इस मुद्दे पर टीचर व स्कूल मैनेजमेंट ने समय रहते ध्यान नहीं दिया। CBSE ने इसी लापरवाही को घटना का एक बड़ा कारण माना है। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिस और जांच रिपोर्ट में बुलिंग शब्द का कहीं स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, जिसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में शिक्षकों की निगरानी, छात्र-शिक्षक संवाद की कमी, काउंसलिंग सिस्टम की कमजोर स्थिति और शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही जैसी खामियों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिए गए हैं कि स्कूल स्तर पर छात्रों की मानसिक स्थिति को लेकर कोई ठोस तंत्र प्रभावी रूप से लागू नहीं था।
CBSE और राज्य शिक्षा विभाग की ओर से की जा रही कार्रवाइयों और लगातार बढ़ते दबाव के बीच आखिरकार स्कूल प्रबंधन ने कदम उठाते हुए दोनों शिक्षिकाओं को पद से हटाने का निर्णय लिया। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनके खिलाफ आगे कोई अनुशासनात्मक या कानूनी कार्रवाई की जाएगी या नहीं।
अमायरा के परिजनों की ओर से लगातार न्याय की मांग की जा रही है। उनका कहना है कि यह केवल एक छात्रा की मौत का मामला नहीं है, बल्कि सिस्टम की विफलता का परिणाम है। परिजनों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
फिलहाल, यह मामला जांच के दायरे में है और शिक्षा विभाग व CBSE की आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षित माहौल को नजरअंदाज करना कितनी बड़ी कीमत वसूल सकता है।