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गहलोत के सवाल पर मदन राठौड़ का पलटवार, फुटेज में देखें ​बयान में कांग्रेस की उडा दी धज्जियां

 

राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर जुबानी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हालिया बयान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने गहलोत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान सरकार को अभी तो कांग्रेस की सरकार के "पाप" धोने में ही समय लग रहा है।

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प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा, "अशोक गहलोत की पिछली सरकार ने प्रदेश में शासन व्यवस्था को पूरी तरह बिगाड़ कर रख दिया था। उन्होंने ऐसी अव्यवस्थित पंचायतें और वार्ड बनाए, जिनका कोई तर्क नहीं था। आज हमारी सरकार उन अव्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने में लगी है।"

राठौड़ ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार ने वोटबैंक की राजनीति के चलते बिना किसी योजना या आधार के नई पंचायतों और वार्डों का गठन कर दिया था, जिससे न सिर्फ स्थानीय प्रशासन की कार्यक्षमता प्रभावित हुई, बल्कि आमजन भी परेशान हुआ। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती इन अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करना है, और यही कारण है कि विकास की गति कुछ स्थानों पर धीमी प्रतीत हो सकती है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में एक जनसभा में बीजेपी सरकार पर विकास कार्यों में सुस्ती का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से न तो कोई बड़ी योजना शुरू हुई है और न ही जनता को किसी प्रकार की राहत मिली है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनकी सरकार ने जो योजनाएं शुरू की थीं, उन्हीं पर बीजेपी सरकार काम कर रही है।

गहलोत के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए राठौड़ ने कहा, "गहलोत जी को पहले ये समझना चाहिए कि योजनाओं की नींव मजबूत होनी चाहिए। उन्होंने जो योजनाएं चलाईं, उनमें पारदर्शिता की भारी कमी थी। योजनाओं के नाम पर सिर्फ कागजी घोषणाएं हुईं, जिनका लाभ जमीनी स्तर पर जनता को नहीं मिला।"

राठौड़ ने आगे कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। "हम व्यवस्था में सुधार लाने, योजनाओं को जनहित के अनुसार ढालने और भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन देने के लिए प्रयासरत हैं," उन्होंने जोड़ा।

इस जुबानी जंग से साफ है कि आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति और गरमाएगी, खासतौर पर जब स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों की चर्चा शुरू हो रही है। दोनों दल एक-दूसरे पर हमले तेज कर चुके हैं, और जनता को लुभाने के लिए एक बार फिर वादों और दावों का दौर शुरू होता नजर आ रहा है।