जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी ने शैक्षणिक सत्र 2025 की शुरुआत, वीडियो में जानें दो नए केंद्रों की भी स्थापना
राजस्थान की अग्रणी शिक्षण संस्था जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी ने शैक्षणिक सत्र 2025 की शुरुआत एक वैश्विक दृष्टिकोण और रणनीतिक सोच के साथ की है। विश्वविद्यालय ने इस सत्र में छात्रों के शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने के लिए दो नए केंद्रों की स्थापना की है। ये केंद्र हैं - सेंटर फॉर फॉरेन लैंग्वेजेस और सेंटर फॉर हायर एजुकेशन एब्रॉड।
इन दोनों केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखना है, ताकि वे वैश्विक रोजगार बाजार में अपनी पहचान बना सकें। इन केंद्रों के माध्यम से विश्वविद्यालय ने न केवल शिक्षा के स्तर को बढ़ाने की योजना बनाई है, बल्कि छात्रों को विभिन्न भाषाओं और उच्च शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय अवसरों के बारे में भी अवगत कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
सेंटर फॉर फॉरेन लैंग्वेजेस: एक वैश्विक दृष्टिकोण
सेंटर फॉरेन लैंग्वेजेस का उद्देश्य छात्रों को विभिन्न विदेशी भाषाओं में दक्षता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है। इस केंद्र के माध्यम से, विश्वविद्यालय छात्रों को न केवल प्रमुख भाषाओं जैसे इंग्लिश, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश और चाइनीज़ की शिक्षा देगा, बल्कि भारतीय भाषाओं के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी जाएगी। यह पहल छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर संवाद कौशल और संचार दक्षता प्रदान करेगी, जिससे वे विदेशी बाजारों में भी अपने करियर को सशक्त बना सकेंगे।
सेंटर फॉर हायर एजुकेशन एब्रॉड: अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के अवसर
सेंटर फॉर हायर एजुकेशन एब्रॉड का उद्देश्य छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश में अध्ययन करने के अवसर प्रदान करना है। इस केंद्र के तहत, विश्वविद्यालय अपने छात्रों को विदेश में विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करने के बारे में मार्गदर्शन देगा। इस पहल से छात्रों को विभिन्न देशों में अध्ययन करने के लिए आवश्यक संसाधन, स्कॉलरशिप्स और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
विश्वविद्यालय का दृष्टिकोण और भविष्य
जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी ने इन दोनों केंद्रों की स्थापना के साथ यह स्पष्ट कर दिया है कि वह न केवल अपने छात्रों को गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना चाहता है, बल्कि उन्हें वैश्विक मानकों के अनुसार तैयार करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय का मानना है कि इन पहलुओं के माध्यम से वे छात्रों को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत पहचान दे सकेंगे।