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जयपुर का रामगढ़ बांध बनेगा कृत्रिम वर्षा परीक्षण का पहला स्थल, देश में पहली बार ड्रोन और AI से वर्षा होगी

 

राजधानी जयपुर का रामगढ़ बांध 31 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने जा रहा है, जब यहां कृत्रिम वर्षा की तकनीक का परीक्षण किया जाएगा। यह पहला मौका होगा जब देश में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया को परीक्षण के रूप में लागू किया जाएगा।

राजस्थान के कृषि और उद्यानिकी विभाग की ओर से इस तकनीक का औपचारिक शुभारंभ 31 जुलाई को दोपहर 3 बजे जमवारामगढ़ बांध से किया जाएगा। इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। इस ऐतिहासिक पहल को लेकर प्रदेश सरकार ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इस नई तकनीकी पहल का समर्थन करें।

कृत्रिम वर्षा की नई तकनीक:

इस योजना के तहत, ड्रोन और AI की मदद से कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया को संचालित किया जाएगा, जिससे वर्षा के बादलों का निर्माण किया जाएगा। इस तकनीक का उद्देश्य वर्षा के पैटर्न को नियंत्रित करना और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जलवायु की स्थिति को सुधारना है। विशेष रूप से जल संकट वाले क्षेत्रों में इस तकनीक के जरिए कृषि के लिए आवश्यक पानी की कमी को पूरा करने की कोशिश की जाएगी।

रामगढ़ बांध का चयन:

रामगढ़ बांध को कृत्रिम वर्षा की तकनीक के परीक्षण के लिए चुने जाने का कारण यह है कि यह बांध जयपुर के आसपास के इलाके का एक महत्वपूर्ण जलाशय है। यहां की जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ इस परीक्षण के लिए उपयुक्त मानी जा रही हैं।

कृषि मंत्री का बयान:

कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने इस पहल को राजस्थान के किसानों के लिए एक बड़ी उम्मीद बताया है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम वर्षा की इस तकनीक के परीक्षण से न केवल सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत मिलेगी, बल्कि राजस्थान के कृषि क्षेत्र को भी नई दिशा मिलेगी। मंत्री ने इस कार्यक्रम के प्रति आम नागरिकों और किसानों से बढ़-चढ़कर समर्थन देने की अपील की।

नई तकनीक से उम्मीदें:

राजस्थान में विशेषकर सूखा प्रभावित इलाकों में पानी की भारी कमी रहती है, जो कृषि और जल आपूर्ति दोनों को प्रभावित करती है। कृत्रिम वर्षा की इस तकनीक से न सिर्फ कृषि क्षेत्र में समृद्धि आने की उम्मीद है, बल्कि यह जल संसाधनों की बचत और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी सहायक साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक भविष्य में राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन सकती है, जो किसानों को संकट के समय में मदद प्रदान करेगी।

राज्य सरकार ने इस पहल को राजस्थान में तकनीकी उन्नति के तौर पर देखा है और इसे राज्य के कृषि क्षेत्र को भविष्य में मजबूती देने का एक कदम माना जा रहा है।

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