जयपुर में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान बोले देवकीनंदन ठाकुर, वीडियो में देखें कहा - कलियुग में भगवानों की हो गई है भीड़
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कलियुग में आस्था और भक्ति के बदलते स्वरूप पर चिंता जताते हुए कहा कि आज के समय में भगवानों की भीड़ हो गई है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति थोड़ा सा प्रसिद्ध हो जाता है तो लोग उसे ही भगवान मानने लगते हैं, जबकि यह न तो धर्म के लिए सही है और न ही समाज के लिए। अगर किसी इंसान को भगवान बना दिया जाएगा, तो वह न धरती पर टिक पाएगा और न ही आकाश में उड़ पाएगा। यह विचार उन्होंने जयपुर के मानसरोवर स्थित वीटी रोड मेला ग्राउंड में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए।
श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा पंडाल में उपस्थित रहे। इस अवसर पर देवकीनंदन ठाकुर ने श्रद्धा, विश्वास और निष्ठा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सच्ची भक्ति केवल बाहरी आडंबर तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें पूर्ण समर्पण और एकाग्रता आवश्यक है।
कथावाचक ने श्रद्धालुओं से संवाद करते हुए लोगों की आम शिकायत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि वे भजन करते हैं, भक्ति करते हैं और किसी भी देवी-देवता का दरवाजा नहीं छोड़ा, फिर भी उनके जीवन में दुख और परेशानियां क्यों हैं। इस पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इसी प्रश्न में ही उत्तर छिपा है। उन्होंने कहा, “आपने कोई दरवाजा नहीं छोड़ा, यही आपकी सबसे बड़ी गलती है।” उनका आशय था कि जब भक्ति कई दिशाओं में बंटी होती है, तो मन और विश्वास कहीं एक जगह टिक नहीं पाता।
देवकीनंदन ठाकुर ने समझाया कि भक्ति का अर्थ केवल पूजा-पाठ या धार्मिक आयोजनों में शामिल होना नहीं है, बल्कि मन, वचन और कर्म से एक ईश्वर पर अटूट विश्वास रखना ही सच्ची भक्ति है। उन्होंने कहा कि जब श्रद्धा और निष्ठा में स्थिरता आती है, तभी जीवन में सकारात्मक परिवर्तन संभव होता है।
कथा के दौरान उन्होंने समाज में बढ़ती दिखावटी भक्ति और झूठे चमत्कारों पर भी अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष किया। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे विवेक के साथ धर्म को समझें और किसी भी व्यक्ति को केवल उसकी लोकप्रियता के आधार पर भगवान न मानें।
श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। कथा स्थल पर हर दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। आयोजकों के अनुसार यह कथा आगामी दिनों तक जारी रहेगी। कथा के माध्यम से देवकीनंदन ठाकुर श्रद्धालुओं को जीवन में सही मार्ग अपनाने, सच्ची भक्ति करने और आत्मचिंतन की प्रेरणा दे रहे हैं।