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थप्पड़कांड के आरोपी नरेश मीणा को हाईकोर्ट से मिली जमानत, समर्थकों में खुशी की लहर, सामने आया जबरदस्त जश्न का वीडियो

 

देवली-उनियारा उपचुनाव 2024 के दौरान उपखंड अधिकारी (SDM) को थप्पड़ मारने और उसके बाद हुई आगजनी के मामले में चर्चित नरेश मीणा को शुक्रवार सुबह राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने आगजनी के मामले में उसकी जमानत याचिका को मंजूरी दे दी है। हालांकि, तमाम कानूनी औपचारिकताओं के चलते मीणा के शुक्रवार को ही जेल से रिहा होने की संभावना कम बताई जा रही है।

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गौरतलब है कि उपचुनाव के दौरान नरेश मीणा द्वारा एक उपखंड अधिकारी को सार्वजनिक स्थान पर थप्पड़ मारने की घटना ने प्रदेशभर में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी थी। इस घटना के बाद इलाके में भारी तनाव फैल गया था और कई स्थानों पर आगजनी तथा विरोध-प्रदर्शन की घटनाएं हुई थीं। इसी मामले में पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

नरेश मीणा पर सरकारी कार्य में बाधा डालने, सरकारी अधिकारी से मारपीट करने, और आगजनी के आरोपों के तहत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था। काफी समय से मीणा की ओर से जमानत के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन अब जाकर हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर सहमति जताई है।

रिहाई में लग सकते हैं 1-2 दिन

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, कोर्ट से जमानत आदेश जारी होने के बावजूद रिहाई की प्रक्रिया में वक्त लग सकता है। संबंधित कोर्ट से रिहाई वारंट जारी होने, जेल प्रशासन तक पहुंचने और अन्य औपचारिक प्रक्रियाओं के बाद ही मीणा को रिहा किया जा सकेगा। ऐसे में शुक्रवार को उनकी जेल से रिहाई की संभावना बेहद कम है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है मामला

नरेश मीणा का नाम पिछले कुछ समय से देवली-उनियारा क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियों के चलते चर्चा में रहा है। बताया जा रहा है कि वह स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली जनप्रतिनिधियों और किसान संगठनों से जुड़ा हुआ है। उपचुनाव के दौरान हुई यह घटना न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से गंभीर मानी गई, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी असहज स्थिति पैदा कर गई थी।

आगे की रणनीति पर निगाहें

मीणा को मिली इस जमानत के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह जेल से बाहर आकर अपनी छवि को किस तरह संभालते हैं और राजनीतिक रूप से क्या रुख अपनाते हैं। क्षेत्रीय राजनीति में उनकी वापसी की संभावनाएं तेज हो सकती हैं, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों की कानूनी प्रक्रिया अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।