नाबालिग से दुष्कर्म मामले में क्रिकेटर यश दयाल को बड़ा झटका, फुटेज में जानें जयपुर पॉक्सो कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
आईपीएल चैंपियन टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के तेज गेंदबाज यश दयाल को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में जयपुर की पॉक्सो कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जयपुर महानगर प्रथम स्थित पॉक्सो कोर्ट-3 ने यश दयाल की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अब यश दयाल की गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई है और उन्हें किसी भी समय पुलिस हिरासत में लिया जा सकता है।
मामले की सुनवाई करते हुए पॉक्सो कोर्ट-3 की न्यायाधीश अलका बंसल ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत नहीं होता कि आरोपी को झूठे आरोपों में फंसाया गया है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि अब तक की जांच में आरोपी का अपराध में शामिल होना सामने आता है। साथ ही न्यायालय ने कहा कि आरोपी से अभी पूछताछ शेष है, ऐसे में इस स्तर पर उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
अदालत के इस फैसले के बाद यश दयाल की कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद जांच एजेंसियों को अब उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने का पूरा अधिकार मिल गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस जल्द ही आगे की कार्रवाई कर सकती है।
गौरतलब है कि इस मामले में 23 जुलाई 2025 को जयपुर के सांगानेर सदर थाने में यश दयाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। पीड़िता की शिकायत के अनुसार, यश दयाल ने क्रिकेट में करियर बनाने का झांसा देकर और भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर नाबालिग के साथ करीब ढाई साल तक दुष्कर्म किया। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि आरोपी ने पीड़िता का मानसिक और भावनात्मक शोषण किया।
मामले के सामने आने के बाद से ही यह प्रकरण खेल जगत और आमजन के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर जहां यश दयाल एक चर्चित आईपीएल खिलाड़ी हैं और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की चैंपियन टीम का हिस्सा रह चुके हैं, वहीं दूसरी ओर उन पर लगे गंभीर आरोपों ने उनकी छवि और करियर पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने अग्रिम जमानत के लिए तर्क देते हुए कहा कि आरोपी सहयोग करने को तैयार है और उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने आरोपों की गंभीरता, पीड़िता की उम्र और जांच की स्थिति का हवाला देते हुए जमानत का कड़ा विरोध किया। अदालत ने अभियोजन पक्ष के तर्कों से सहमति जताते हुए याचिका खारिज कर दी।
कानूनी जानकारों का कहना है कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में अदालतें बेहद सतर्क रवैया अपनाती हैं, खासकर तब जब पीड़िता नाबालिग हो और आरोप लंबे समय तक शोषण से जुड़े हों। ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत मिलना अपेक्षाकृत कठिन माना जाता है।
अब इस मामले में आगे की जांच और संभावित गिरफ्तारी पर सभी की नजरें टिकी हैं। वहीं, यश दयाल और उनके परिवार के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आने वाले दिनों में यह मामला न सिर्फ कानूनी बल्कि खेल जगत में भी बड़ी बहस का विषय बना रह सकता है।