राजस्थान पुलिस में भ्रष्टाचार बना चिंता का विषय, डीजीपी के निर्देशों के बावजूद थानों में नहीं रुक रही रिश्वतखोरी
। राजस्थान में पुलिस विभाग में फैला भ्रष्टाचार एक बार फिर सुर्खियों में है। आमजन की मदद करने वाली पुलिस जब खुद ही रिश्वत लेने में संलिप्त हो जाए, तो लोगों का कानून व्यवस्था से विश्वास डगमगाना स्वाभाविक है। इसी कड़ी में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव शर्मा ने हाल ही में सभी जिला पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि थानों पर नियमित निरीक्षण और निगरानी की जाए, ताकि पुलिसकर्मियों की कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
डीजीपी राजीव शर्मा ने पुलिसकर्मियों को यह भी कहा है कि वे अपने-अपने थाना क्षेत्रों में इस तरह से काम करें कि जनता पुलिस को सम्मान और विश्वास की दृष्टि से देखें, लेकिन दुर्भाग्यवश इन निर्देशों का असर थानों तक पहुंचता नहीं दिख रहा।
जमीनी हकीकत यह है कि कई थाना क्षेत्रों में पुलिसकर्मी उन्हीं से रिश्वत मांगते नजर आ रहे हैं, जिनकी मदद उन्हें करनी चाहिए। इससे न केवल पुलिस विभाग की साख को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी टूट रहा है।
इन हालातों को देखते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने अब ऐसे पुलिसकर्मियों पर कड़ी निगरानी रखनी शुरू कर दी है। ACB की टीमें गुप्त तरीके से शिकायतों पर काम कर रही हैं और कई थाना क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज करने, जांच में राहत देने या किसी को आरोपमुक्त करने के बदले रिश्वत की मांग की गई। इन मामलों में ACB ने कार्रवाई भी की, लेकिन फिर भी पूरी व्यवस्था में बदलाव नहीं दिख रहा।
जनता का कहना है कि जब प्रदेश का सर्वोच्च पुलिस अधिकारी डीजीपी स्वयं सख्त आदेश जारी करता है और फिर भी उसका असर थानों में नज़र नहीं आता, तो यह पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सिर्फ आदेश ही नहीं, सख्त कार्रवाई और जवाबदेही तय करना भी आवश्यक है। साथ ही, आमजन को भी जागरूक होकर ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने की पहल करनी होगी, ताकि दोषी पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर दंडित किया जा सके।
अब देखना यह है कि क्या डीजीपी राजीव शर्मा के निर्देशों को थानों में वास्तविक रूप से लागू किया जाएगा या फिर जनता इसी तरह भ्रष्टाचार की चक्की में पिसती रहेगी। पुलिस की छवि को सुधारने के लिए यह समय निर्णायक साबित हो सकता है।
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