कैबिनेट कमेटी ने सभी 305 निकायों के पुनर्गठन को दी मंजूरी, एक्सक्लुसीव फुटेज में जानें कब होंगे वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत चुनाव
राजस्थान में नगरीय निकायों के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन को लेकर राज्य सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। सभी 305 नगरीय निकायों के वार्डों के पुनर्गठन को हरी झंडी दे दी गई है। यह फैसला राज्य सरकार की मंत्रिमंडलीय उप समिति की समीक्षा बैठक में लिया गया, जो मंगलवार को स्वायत्त शासन विभाग के सभागार में आयोजित की गई थी। बैठक की अध्यक्षता नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग के राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने की।
बैठक में नगरीय निकायों की वर्तमान जनसंख्या, भौगोलिक परिस्थितियों, विकास की आवश्यकता, जनप्रतिनिधियों की मांग और आमजन की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए पुनर्गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी। यह फैसला नगरीय प्रशासन को अधिक प्रभावी और जनसुविधाओं को सुचारु रूप से संचालित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बैठक में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का उद्देश्य नगरीय निकायों को सशक्त बनाना और प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण की दर को देखते हुए वर्तमान वार्डों की सीमा और संरचना में बदलाव समय की मांग है। कई वार्ड ऐसे हैं जहाँ आबादी का घनत्व असंतुलित है, जिससे विकास कार्यों के निष्पादन में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे में पुनर्गठन से संसाधनों का समुचित वितरण और योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन संभव होगा।
स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि इस प्रक्रिया के तहत प्रत्येक नगरीय निकाय में वार्डों की संख्या, उनकी सीमाएं और जनसंख्या के आधार पर आवश्यक बदलाव किए जाएंगे। इसके लिए पहले ही एक विस्तृत सर्वेक्षण कराया गया था, जिसके आधार पर प्रस्ताव तैयार किए गए। अब मंत्रिमंडलीय उप समिति की मंजूरी के बाद प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जाएगा।
बैठक में उप समिति के अन्य सदस्य मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों ने भी अपने सुझाव रखे। सभी ने इस निर्णय को राज्य के शहरी विकास के लिए सकारात्मक और दूरदर्शी बताया। उन्होंने कहा कि इससे शहरी क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के विकास को गति मिलेगी और नागरिकों को उनकी आवश्यकतानुसार सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
गौरतलब है कि राजस्थान में वर्तमान में कुल 305 नगरीय निकाय हैं, जिनमें नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाएं शामिल हैं। इन निकायों के तहत वार्डों की संख्या, सीमा निर्धारण और जनसंख्या का अनुपात कई वर्षों से अपरिवर्तित है। अब सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि नगरीय प्रशासन की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
राज्य सरकार की यह पहल नगरीय शासन को और अधिक लोकतांत्रिक, समावेशी और विकासोन्मुख बनाने की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखी जा रही है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है।