अमित शाह के जयपुर दौरे में दिखी भाजपा की सियासी केमिस्ट्री, मंच पर भजनलाल-राजे संग नजर आए
राजस्थान की राजनीति में शनिवार को एक दिलचस्प दृश्य सामने आया जब केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जयपुर के पास दादिया गांव पहुंचे। यहां सहकार एवं रोजगार उत्सव के दौरान आयोजित कार्यक्रम में मंच पर नेताओं की बैठने की व्यवस्था (सीटिंग अरेंजमेंट) ने सियासी हलकों में खासा ध्यान खींचा।
मंच पर अमित शाह के एक ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बैठे थे, तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के लिए कुर्सी लगाई गई थी। यह बैठने की व्यवस्था यूं तो औपचारिक प्रतीत हो सकती है, लेकिन राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है, और इसी प्रतीकात्मकता ने अटकलों को जन्म दे दिया।
सियासी संदेश क्या है?
भाजपा में अक्सर यह चर्चा होती रही है कि वसुंधरा राजे और मौजूदा नेतृत्व के बीच संबंधों में कितनी गर्मजोशी है। ऐसे में इस आयोजन में उन्हें विशेष स्थान देना और मंच पर अहम नेता के रूप में पेश करना यह संकेत देता है कि पार्टी वसुंधरा राजे को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। इससे यह भी संदेश गया कि पार्टी में सामंजस्य और संतुलन बनाए रखने की कोशिश हो रही है।
कार्यक्रम में शाह ने सहकारिता और रोजगार से जुड़ी कई योजनाओं का शिलान्यास किया, लेकिन जितनी चर्चा योजनाओं की नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा चर्चाएं मंच की राजनीतिक तस्वीर को लेकर हुईं।
वसुंधरा की मौन मौजूदगी, लेकिन प्रभावी उपस्थिति
वसुंधरा राजे भले ही कार्यक्रम में कोई बड़ा भाषण न देकर संयमित रहीं, लेकिन उनकी उपस्थिति ने यह दिखा दिया कि राज्य की राजनीति में उनका वजूद अभी भी उतना ही प्रासंगिक है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह भाजपा की एकजुटता दिखाने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है, खासकर तब जब राज्य में सत्तारूढ़ दल पर अंदरूनी खींचतान के आरोप लगते रहे हैं।
भजनलाल शर्मा के लिए भी था खास संकेत
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी अमित शाह के समीप स्थान देना एक राजनीतिक संदेश था – कि केंद्र सरकार और शीर्ष नेतृत्व उनके साथ खड़ा है और राज्य में उनकी भूमिका को पूरी तरह से समर्थन प्राप्त है।