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राजस्थान में 108 और 104 एम्बुलेंस सेवाएं ठप होने की कगार पर, फुटेज में जानें कर्मचारियों ने क्यों किया कार्य बहिष्कार का ऐलान

 

राजस्थान में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा झटका लगने वाला है। प्रदेशभर में संचालित 108 और 104 एम्बुलेंस सेवाएं रविवार रात 12 बजे से बंद हो सकती हैं। नए टेंडर की शर्तों को लेकर असंतोष जताते हुए मौजूदा कर्मचारियों की यूनियन ने कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है। यदि यह निर्णय लागू होता है, तो इसका सीधा असर आम जनता और आपातकालीन मरीजों पर पड़ेगा।

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एम्बुलेंस कर्मचारियों का कहना है कि नए टेंडर में वेतन कम किया जा रहा है और कार्य समय को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रस्ताव है, जिसे वे स्वीकार नहीं करेंगे। इसी के विरोध में कर्मचारियों ने सेवाएं बंद करने का फैसला लिया है।

राजस्थान एम्बुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने बताया कि यूनियन ने स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारियों के सामने अपनी मांगें स्पष्ट रूप से रखी थीं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की प्रमुख मांग है कि नए टेंडर में वेतन में कम से कम 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए और वर्किंग आवर्स 8 घंटे ही रखे जाएं। हालांकि, यूनियन का आरोप है कि इन मांगों पर अब तक विभाग की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

वीरेंद्र सिंह ने बताया, “हमने कई बार अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया। मजबूर होकर हमें 28 दिसंबर की रात 12 बजे से कार्य बहिष्कार का निर्णय लेना पड़ा है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार या विभाग की ओर से जल्द कोई सकारात्मक पहल नहीं होती है, तो आंदोलन को आगे और तेज किया जा सकता है।

108 और 104 एम्बुलेंस सेवाएं प्रदेश में आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं। सड़क दुर्घटनाओं, गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारियों और ग्रामीण इलाकों में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में इन सेवाओं की अहम भूमिका रहती है। ऐसे में सेवाओं के बंद होने से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गंभीर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से फिलहाल इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि विभाग हालात पर नजर बनाए हुए है और सेवाओं को प्रभावित होने से बचाने के लिए वैकल्पिक इंतजामों पर विचार किया जा रहा है।

इधर, आम लोगों और मरीजों के परिजनों में चिंता बढ़ने लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह हड़ताल लंबी चली तो ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में हालात ज्यादा गंभीर हो सकते हैं, जहां निजी एम्बुलेंस की पहुंच सीमित है।

अब सभी की नजरें सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर टिकी हैं कि वे कर्मचारियों की मांगों पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या समय रहते कोई समाधान निकल पाता है या नहीं। यदि बातचीत से रास्ता नहीं निकला, तो प्रदेश की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने का खतरा बना रहेगा।