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सांभर झील में सजेगा 5 दिवसीय महोत्सव, सतरंगी रंगों में नहाई झील बनी आकर्षण का केंद्र

 

राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध सांभर झील इन दिनों अपने अनोखे और सतरंगी रंगों को लेकर चर्चा में है। 27 से 31 दिसंबर तक आयोजित होने वाले 5 दिवसीय सांभर महोत्सव से पहले झील का यह बदला हुआ रूप पर्यटकों और स्थानीय लोगों का मन मोह रहा है। दूर-दूर से आने वाले सैलानी झील की क्यारियों में उभरे गुलाबी, बैंगनी, हरे और लाल रंगों को देखकर हैरान हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सांभर झील की क्यारियां रंग-बिरंगी क्यों नजर आती हैं?

दरअसल, सांभर झील के बदलते रंगों के पीछे प्रकृति और विज्ञान का अनोखा मेल है। विशेषज्ञों के अनुसार, झील के पानी में मौजूद नमक की मात्रा, तापमान और सूक्ष्म जीवाणुओं (एल्गी और बैक्टीरिया) के कारण यह रंग परिवर्तन होता है। जब झील में पानी कम होने लगता है और नमक की सांद्रता बढ़ जाती है, तब कुछ विशेष प्रकार के सूक्ष्म जीव सक्रिय हो जाते हैं।

इन सूक्ष्म जीवों में मुख्य रूप से हेलोबैक्टीरिया और ड्यूनालिएला सालिना नामक शैवाल शामिल हैं। ये जीव अधिक नमक वाले वातावरण में पनपते हैं और अपने जीवन चक्र के दौरान विशेष रंगद्रव्य (पिगमेंट) छोड़ते हैं। यही पिगमेंट पानी को गुलाबी, लाल या बैंगनी रंग का बना देते हैं। वहीं, कुछ हिस्सों में हरे रंग की काई और एल्गी के कारण झील हरे रंग में भी दिखाई देती है।

मौसम का भी इसमें अहम योगदान होता है। सर्दियों के मौसम में तापमान में गिरावट और धूप की तीव्रता में बदलाव से इन जीवाणुओं की गतिविधि बढ़ जाती है, जिससे रंग और अधिक गहरे और आकर्षक हो जाते हैं। यही कारण है कि दिसंबर के महीने में सांभर झील का सतरंगी रूप सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।

इस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच 27 से 31 दिसंबर तक आयोजित होने वाला सांभर महोत्सव झील की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला है। महोत्सव के दौरान लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, ऊंट सफारी, बर्ड वॉचिंग और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद पर्यटकों को राजस्थान की समृद्ध संस्कृति से रूबरू कराएगा।

पर्यटन विभाग के अनुसार, इस बार महोत्सव को लेकर खास तैयारियां की जा रही हैं, क्योंकि झील का सतरंगी रूप सोशल मीडिया और पर्यटन के लिहाज से बड़ी पहचान बन चुका है। बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटकों के आने की उम्मीद जताई जा रही है।