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Gorakhpur दो सीएचसी में बंद हो गया पीडियाट्रिक आईसीयू!

 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   जिले के ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में गंभीर बीमार बच्चों के इलाज के लिए संचालित पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) पर ताला लटकने का खतरा मंडराने लगा है. जिले के  सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में संचालित पीकू में से दो पीकू बंद हो चुके हैं. यहां पर अब कोई डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ तैनात नहीं हैं. यह पीकू जंगल कौड़िया और चरगांवा सीएचसी में संचालित थे. दोनों जगह तीन-तीन बेड वेंटिलेटरयुक्त मौजूद हैं. खास बात यह है कि बंद होने वाले दोनों पीकू सीएम के गोद लिए सीएचसी में ही संचालित हैं.

एचयूआरएल कर रहा था संचालित सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे की कमान संभालने के बाद बच्चों के इलाज की सुविधाओं को बढ़ाने को लेकर विशेष संजीदगी दिखाई. इसमें गोरखपुर में संचालित हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) आगे आया. एचयूआरएल ने कॉरपोरेट एनवायरनमेंट रिस्पांसबिलिटी (सीईआर) फंड से जिले में  पीकू या पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (बाल सघन चिकित्सा देखभाल इकाई) का निर्माण कराया. इसकी कुल लागत करीब 24 करोड़ 71 लाख रुपए आई.

आधुनिक संसाधनों से लैस है पीकू

इन पीकू पर मल्टी पैरा कार्डियक मॉनिटर, वेंटिलेटर, स्पेशल डिजाइन बेड, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर समेत सभी जरूरी व अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं. तीन बेड वाले प्रत्येक पीकू में एक बालरोग विशेषज्ञ, चार सामान्य चिकित्सक, चार नर्स, चार वार्ड ब्वाय और तीन आईसीयू तकनीशियन तैनात थे.

खत्म होने लगा अनुबंध वापस लौटे स्टॉफ

इन पीकू के संचालन में स्वास्थ्य विभाग और एचयूआरएल के बीच अनुबंध हुआ था. इसके तहत एक साल तक इसका संचालन एचयूआरएल को करना था. उसके बाद यह स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर हो जाएगा. मार्च 23 में जंगल कौड़िया और चरगांवा में पीकू का संचालन शुरू हुआ था.

 

 

गोरखपुर न्यूज़ डेस्क