Gorakhpur एम्स में बिना लाइसेंस चल रहीं 5 कैंटीन बंद कराई
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चल रही कैंटीन में खाने में कीड़े मिलने के बाद एसडीएम सदर दीपक सिंह के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की संयुक्त टीम जांच के लिए पहुंची थी. टीम को जांच के दौरान टीम को कैंटीन चलाने के एक भी कागजात जिम्मेदार नहीं दिखा सके. अचानक हुई छापेमारी में कैंटीन में हर जगह अनियमितता मिली. टीम ने दो कैंटीन से सैंपल लेकर प्रयोगशाला में जांच की बात कही है. कागजात और लाइनेंस न दिखाने पर सभी कैंटीन को अग्रिम आदेश तक बंद कर दिया गया है.
एम्स के इन और आउट एरिया में पुष्पा फूड सेंटर के नाम से पांच कैंटीन संचालित की जा रही है. इनका संचालन दिल्ली निवासी सूरज सिंह, राकेश दूबे और अमरनाथ कश्यप जेम पोर्टल के जरिए मिले लाइसेंस के आधार पर करते हैं. इसी साल जुलाई में कार्यकारी निदेशक व सीईओ की मौजूदगी में कैंटीन का शुभारंभ किया गया था. वर्तमान में एम्स की ओपीडी, प्रशासनिक भवन व प्रशासनिक भवन के सटे के अलावा गेट नंबर-दो व नर्सिंग होस्टल के पास कुल पांच कैंटीन चलाई जा रही है. कैंटीन में खाने की गुणवत्ता को लेकर कई बार शिकायतें मिल चुकी है. खाने में कीड़े, पराठे में कीड़े मिलने के साथ एक्सपायरी डेट की नमकीन से लेकर पानी बेचे जाने की भी शिकायत को आई थी. इसके बाद एम्स के निदेशक ने डीएम को मामले को अवगत कराया.
डीएम के निर्देश पर एसडीएम सदर दीपक सिंह खाद्य विभाग की टीम के साथ दोपहर में छापेमारी की. टीम ने पहले प्रशासनिक भवन की कैंटीन पर छापा मारा. इसके बाद टीम ओपीडी कैंटीन में पहुंची. यहां खाने की गुणवत्ता बेहतर नहीं मिली. इस बीच जैसे ही टीम प्रशासनिक भवन से सटे कैंटीन पर पहुंची. वहां सना आटा पॉलिथीन में फर्श पर रखा हुआ मिला. उसके आसपास धूल की गदंगी थी. तेल, मसाला, ग्रेवी, घी सब्जी अनहाइजनिक तरीके से रखे गए थे. एम्स जैसे स्वास्थ्य संस्थान के कैंटीन की इस तरह की हालत देखकर अधिकारी भी सकते में आ गए.
टीम ने आंटा, पनीर, मसाला और ग्रेवी का लिया सैंपल छापे के दौरान खाद्य विभाग की टीम ने पुष्पा कैंटीन के किचेन से गूथे आंटा, फ्रीज में रखे पनीर, समोसा मसाला व तैयार ग्रेवी का नमूना संग्रह कर सील बंद कर ले लिया. सभी सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजी जाएंगी.
पानी व खाने के लिए तरस गए डॉक्टर और तीमारदार इस बीच जैसे ही टीम कैंटीन में जांच के लिए पहुंची, वैसे ही सभी डॉक्टर और तीमारदारों को कैंटीन से बाहर कर दिया गया. इसके बाद से डॉक्टर और तीमारदार पानी और खाने के लिए तरस गए. बताया जा रहा है कि सबसे अधिक दिक्कत रात में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों को हुई है. रात में किसी तरह उन्होंने बाहर से खाने के लिए सामान मंगवाया.
एम्स में पिछले दिनों हुए डॉक्टरों के प्रदर्शन का मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है. मामले की पूरी रिपोर्ट सीएम कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगी है. कारण सहित यह पूछा है कि प्रदर्शन के दौरान ओपीडी की संख्या कैसे घटी और ऑपरेशन क्यों टाले गए? ऑपरेशन टालने का प्रदर्शन से क्या लेना-देना था. एम्स प्रशासन ने मामले की रिपोर्ट बनाकर भेजने की बात कही है.
कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के मामले ने अगस्त माह में तूल पकड़ा था. इसी मामले को लेकर एम्स के एमबीबीएस छात्र, जूनियर और सीनियर रेजीडेंटों ने 12 अगस्त से प्रदर्शन शुरू किया था, जो करीब 10 से 12 दिनों तक चला था. प्रदर्शन के दौरान एम्स की ऑनलाइन ओपीडी तो नहीं बंद थी, लेकिन ऑफलाइन ओपीडी को पूरी तरह से बंद कर दिया था. इस दौरान ओपीडी की संख्या 3000-3500 से घटकर एक हजार से नीचे आ गई थी और करीब 200 से अधिक ऑपरेशन तक टालने पड़े थे.
प्रदर्शन की वजह से एम्स में आने वाले ऑफलाइन मरीजों को गार्ड गेट से बाहर कर दे रहे थे. बताया जा रहा है कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन की बात कहते हुए शासन ने यह निर्देश जारी किए गए थे कि मरीजों को इससे परेशान न होना पड़े. लेकिन, प्रदर्शन का असर सबसे अधिक मरीजों पर ही पड़ा. यही कारण है कि सीएम कार्यालय से लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है.
गोरखपुर न्यूज़ डेस्क