Faridabad बदलाव से बोर्ड परीक्षा के दबाव में नहीं आएंगे छात्र, विषयों के चुनाव में मिलेंगे कई विकल्प
हरियाणा न्यूज़ डेस्क, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नेशनल कॅरिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) का ड्राफ्ट जारी कर दिया है. इसमें 12वीं की बोर्ड परीक्षा को दो टर्म में लेने का प्रस्ताव है. 10वीं-12वीं के नतीजों में पिछली कक्षाओं के अंक जोड़ने की सिफारिश भी की गई है. इस नई व्यवस्था के लागू होने से छात्र बोर्ड परीक्षाओं के दबाव में नहीं आएंगे.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर तैयार इस फ्रेमवर्क में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के विभाजन को भी खत्म करने का प्रस्ताव है. कोरोना के दौरान बोर्ड परीक्षा दो हिस्सों में ली गई थी, अब उसी व्यवस्था को स्थायी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया है. बता दें अब तक 1975, 1988, 2000 और 2005 में कॅरिकुलम फ्रेमवर्क बन चुका है. बोर्ड परीक्षाओं के स्वरूप में बदलाव का भी यह पहला प्रयास नहीं है. इससे पहले 2009 में 10वीं के लिए सतत एवं समग्र मूल्यांकन पद्धति लागू की गई थी, लेकिन 2017 में उसे वापस ले लिया गया.
11वीं और 12वीं में भी आठ विषय
दोनों वर्षों में सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी. चुना हुआ सब्जेक्ट एक सेमेस्टर में पूरा करना होगा. 12वीं का सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए छात्र को 16 पेपर (कोर्स) में पास होना होगा. आठ में से तीन सब्जेक्ट समूहों में से अपने चार सब्जेक्ट चुनने होंगे. जैसे कोई स्टूडेंट सोशल साइंस सब्जेक्ट ग्रुप में से हिस्ट्री चुनता है तो उसे हिस्ट्री के चार पेपर (कोर्स) पूरे करने होंगे. कोई मैथेमेटिक्स ग्रुप से कम्प्यूटर साइंस चुनता है तो उसे इसके चार कोर्स करने होंगे.
आनंद गुप्ता, प्रधानाचार्य, विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल, सेक्टर 15 10 वीं और 12वीं की परीक्षा में सेमेस्टर की तर्ज पर परीक्षाएं होने पर छात्रों को एक साथ विषयों की तैयारी करने और परीक्षा को लेकर अनावश्यक दबाव का सामना नहीं करना होगा. नई शिक्षा नीति में होने वाले बदलाव विद्यार्थियों के लिए बेहद अहम होंगे. अब छात्रों को अधिक विषयों का विकल्प मिल सकेंगा.
कैलाश शर्मा, महासचिव, हरियाणा अभिभावक एकता मंच शिक्षा नीति में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं. ऐसे में इन बदलाव का लाभ देश के अंतिम छोर पर स्थित छात्र को भी मिले ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए. शिक्षा व्यवस्था प्रयोग की जगह नहीं है. बीते समय में लाए गए बदलावों को वापस लेना पड़ा ऐसे में सभी शोध कार्य पूरे किए जाने के बाद ही इन प्रयोगों को लागू किया जाना चाहिए.
विषयों के चुनाव में मिलेंगे कई विकल्प
ड्राफ्ट में आखिरी चार सालों (9वीं से 12वीं) में सब्जेक्ट चुनने में लचीलापन रखा जाएगा. ये आठ ग्रुप में बांटे जाएंगे- ह्यूमैनिटीज, मैथेमेटिक्स-कंप्यूटिंग, वोकेशनल एजुकेशन, फिजिकल एजुकेशन, आर्ट्स एजुकेशन, सोशल साइंस, साइंस, इंटर डिसिप्लीनरी सब्जेक्ट. ये चार साल भी दो चरण में बांटे जाएंगे- 9वीं-10वीं और 11वीं-12वीं. पहले चरण यानी कक्षा 9-10 में साइंस, सोशल साइंस और ह्यूमैनिटीज पढ़ाए जाएंगे, दूसरे चरण (कक्षा 11-12) में हिस्ट्री, फिजिक्स, भाषा पढ़ाई जाएगी.
फरीदाबाद न्यूज़ डेस्क !!!