डूंगरपुर में बालश्रम का पर्दाफाश: 22 नाबालिग बच्चे मुक्त, 3 एजेंट गिरफ्तार
राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में एक बार फिर बालश्रम के काले धंधे का खुलासा हुआ है। गरीबी और लाचारी का फायदा उठाकर मासूम बच्चों को गुजरात के बड़े शहरों में काम करवाने के प्रयास में लगे तीन एजेंटों को रेलवे स्टेशन पर धर-दबोचा गया। सूत्रों के अनुसार, बीती बुधवार रात डूंगरपुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF), चाइल्ड लाइन और सृष्टि सेवा संस्थान की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की। टीम ने चित्तौड़गढ़ से असारवा (गुजरात) जाने वाली ट्रेन में सवार होने का इंतजार कर रहे 22 नाबालिग बच्चों को मुक्त कराया।
मुक्त कराए गए सभी बच्चे 11 से 16 साल की उम्र के हैं। जानकारी के अनुसार, इन्हें गुजरात के विभिन्न शहरों में कैटरिंग (खानपान) और अन्य छोटे-मोटे काम करने के लिए ले जाया जा रहा था। बालकों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किए जाने की कोशिश की जा रही थी, जो बालश्रम की गंभीर मिसाल है।
RPF और चाइल्ड लाइन अधिकारियों ने बताया कि बच्चों को मुक्त कराने के बाद उन्हें सुरक्षित आश्रय और राहत केंद्रों में रखा गया है। वहीं, गिरफ्तार एजेंटों के खिलाफ बालश्रम निषेध अधिनियम और संबंधित कानूनी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आदिवासी बहुल जिलों में गरीबी और जागरूकता की कमी का फायदा उठाकर बालश्रम को बढ़ावा दिया जाता है। ऐसे मामलों में संयुक्त और सतर्क कार्रवाई बच्चों को इस तरह के शोषण से बचाने के लिए आवश्यक है।
स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संठन इस घटना को गंभीरता से ले रहे हैं और उन्होंने अभिभावकों और ग्रामीणों से अपील की है कि वे बच्चों को ऐसे एजेंटों और अवैध कार्यों से दूर रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें। इस कार्रवाई से यह संदेश भी गया है कि बालश्रम और मानव तस्करी के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियां हमेशा सतर्क हैं और बच्चों के हित में हर कदम उठाए जा रहे हैं।