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Dhanbad गांजा तस्करी मामले की सुनवाई प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश राम शर्मा की अदालत में हुई

 

धनबाद  न्यूज़ डेस्क।। निरसा गांजा तस्करी मामले की सुनवाई मंगलवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा की अदालत में हुई. अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक अवधेश कुमार ने धनबाद के तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल की गवाही करायी. एसएसपी ने अदालत को बताया कि नीरज तिवारी पहले धनबाद पुलिस के लिए जासूस के रूप में काम करते थे. अगस्त 2019 में उन्होंने बताया कि जीटी रोड के रास्ते बंगाल से गांजा की तस्करी हो रही है. कुछ दिन बाद वह राजीव राय को ले आये. कहा कि वह व्यक्ति गांजा वाहन को पकड़वाने में मदद करेगा। 23 अगस्त को नीरज ने कहा कि आज रात गांजा गाड़ी निकलने की सूचना है. एसएसपी ने उन्हें इस संबंध में निरसा थाना प्रभारी के संपर्क में रहने को कहा और साथ ही निरसा थाना प्रभारी को नीरज के संपर्क में रहने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया. नीरज ने गांजा तस्करी में शामिल दो लोगों चिरंजीत घोष और सोनू सिंह के नाम का खुलासा किया. निरसा थाना प्रभारी ने टवेरा गाड़ी से 39 किलो गांजा जब्त किया. 2 सितंबर 2019 की रात को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी निरसा एवं थाना प्रभारी निरसा की ओर से एक टीम गठित कर बंगाल भेजा गया. प्राथमिकी के आरोपी चिरंजीत घोष को गिरफ्तार कर थाने लाया गया. अगले दिन उन्हें जेल भेज दिया गया. चिरंजीत घोष की गिरफ्तारी के बारह दिन बाद, उनकी पत्नी ने पुलिस महानिरीक्षक (मानवाधिकार), झारखंड, रांची के कार्यालय से संपर्क किया और अपनी शिकायत दर्ज कराई। श्री कौशल ने अदालत को बताया कि चिरंजीत की पत्नी उनसे मिलने उनके कार्यालय आयी थी. उसने मुझे बताया कि उसके पति को निरसा थाना कांड संख्या 179/19 में झूठा फंसाकर जेल भेज दिया गया है. इस संबंध में उन्होंने पश्चिम बंगाल के पुलिस उपाधीक्षक मिथुन डे को मुख्य साजिशकर्ता बताया. उसने कहा कि वह लंबे समय से मिथुन डे के संपर्क में थी और मिथुन डे ने उसे उसके साथ अवैध संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था। निरीक्षण के दौरान पुलिस को घटना में चिरंजीत घोष की कोई संलिप्तता नहीं मिली.

झारखंड न्यूज़ डेस्क।।