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Buxar बिहार तीन दशक में साक्षरता दर हुई दोगुनी पर मतदान 2 गिरा

 

बिहार न्यूज़ डेस्क  प्रदेश की साक्षरता दर जिस गति से बढ़ी, उस अनुपात में लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ा है. बल्कि उसमें गिरावट ही आई है. पिछले तीन दशक के आंकड़े देखें तो 1991 में 60.35 प्रतिशत मतदान हुआ था और उस समय बिहार की साक्षरता दर मात्र 37.49 फीसदी थी. अब साक्षरता दर 79.70 फीसदी पर पहुंच गई है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में कुल वोटिंग 58.1 फीसदी ही हुई थी. यानी 1991 से अब तक साक्षरता दर में दोगुनी से भी अधिक वृद्धि हुई लेकिन मतदान प्रतिशत दो फीसदी तक घट गया.

ऐसा नहीं है कि चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास नहीं किये. इंटरनेट, सोशल मीडिया, होर्डिंग, बैनर, पोस्टर, नुक्कड़-नाटक, विज्ञापन व अन्य कई प्रयोगों के माध्यम से मतदाता जागरूकता के प्रयास किए गए. फिर भी 20वीं सदी के अंतिम चुनाव के बाद मतदान प्रतिशत में लगातार कमी देखने को मिली है. वर्ष 1998 से लेकर 2019 तक मतदान प्रतिशत 64.6 से घटकर 58.1 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि साक्षरता दर में लगातार बढ़ोतरी हुई है. इस बार भी युवाओं को मतदाता बनाने के लिए चुनाव आयोग को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़े के अनुसार लोकसभा चुनाव में बिहार में 1951 से लेकर 2019 तक सबसे अधिक मतदान 1998 के लोस चुनाव में हुआ. उस समय रिकॉर्ड 64.6 प्रतिशत वोटरों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया. हालांकि, एक साल बाद ही लोकसभा भंग होने से वर्ष 1999 में पुन चुनाव हुआ, जिसमें मतदान प्रतिशत 61.48 प्रतिशत रहा. इसके बाद से मतदान प्रतिशत लगातार घटता रहा है. इसके बाद वर्ष 2004 में 58.02 प्रतिशत, वर्ष 2009 में 44.5 प्रतिशत, वर्ष 2014 में 56.3 प्रतिशत और वर्ष 2019 में 58.1 प्रतिशत मतदान देखने को मिला. प्रदेश की साक्षरता दर के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह वर्ष 2001 में 47.53 प्रतिशत व वर्ष 2011 में 61.8 प्रतिशत रही है. वर्ष 20 की जनगणना रिपोर्ट अब भी जारी नहीं हुई है, लेकिन राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 20 में साक्षरता दर 79.7 प्रतिशत है. इस तरह वर्ष 2019 में हुए मतदान प्रतिशत और वर्ष 20 की साक्षरता दर में  प्रतिशत का अंतर है.

 

 

बक्सर न्यूज़ डेस्क