भीलवाड़ा में रेड डालने पहुंची टीम को देख चुपके से फरार हुआ अकाउंटेंट, सीसीटीवी फुटेज में देखें कई घंटे चला जोरदार ड्रामा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के निर्देश पर देशभर में आयकर विभाग की ओर से लगभग 150 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की कार्रवाई की गई है। यह कार्रवाई मंगलवार सुबह से शुरू हुई और अब भी कई स्थानों पर जारी है। जांच के दौरान खामियां सामने आने के बाद आयकर विभाग ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए दो राजनीतिक पार्टियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की है।
तीन राज्यों में छापेमारी, भीलवाड़ा भी शामिल
आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा ने जिन राज्यों में यह कार्रवाई की, उनमें महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। दोनों राजनीतिक दलों से जुड़े कुल 10 ठिकानों पर छापेमारी की गई है। राजस्थान में यह कार्रवाई भीलवाड़ा जिले में की गई, जहां संबंधित पार्टी कार्यालय और कुछ सहयोगियों के परिसरों की तलाशी ली गई।
टैक्स गड़बड़ियों और बेहिसाब लेनदेन के सुराग
सूत्रों के अनुसार, जांच में ऐसे आर्थिक लेनदेन और दस्तावेज सामने आए हैं जो बेनामी संपत्ति, टैक्स चोरी और हवाला लेनदेन से जुड़े हो सकते हैं। यही कारण है कि विभाग ने कार्रवाई को सिर्फ कारोबारी समूहों तक सीमित न रखते हुए राजनीतिक पार्टियों से जुड़े ठिकानों को भी रडार पर लिया है।
विशेष रूप से जिन दो राजनीतिक दलों पर कार्रवाई की गई है, उनके कुछ खातों और लेनदेन के पैटर्न संदिग्ध पाए गए थे, जिसके बाद इनकी गहन जांच का निर्णय लिया गया।
डिजिटल सबूतों की भी हो रही जांच
छापेमारी के दौरान आयकर विभाग की टीमें डिजिटल उपकरणों, कंप्यूटर, मोबाइल फोन और हार्ड डिस्क को भी जब्त कर रही हैं। इनसे प्राप्त डेटा की फॉरेंसिक जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इन संस्थाओं ने धन के स्रोतों को छुपाने की कोशिश तो नहीं की।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
जैसे ही यह खबर सामने आई कि आयकर विभाग ने दो राजनीतिक दलों पर भी छापेमारी की है, राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई। हालांकि अभी तक किसी पार्टी की ओर से इस कार्रवाई पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा सियासी तौर पर गरमा सकता है।
विभागीय अधिकारी कर रहे जांच की निगरानी
आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन छापों की सीधी निगरानी कर रहे हैं और हर ठिकाने से मिलने वाले इनपुट को केंद्रीय स्तर पर साझा किया जा रहा है। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई साक्ष्यों और वित्तीय अनियमितताओं के आधार पर की जा रही है, न कि किसी राजनीतिक दबाव के तहत।