राजस्थान के बांसवाड़ा में जर्जर स्कूल भवन बना जान का खतरा, मंदिर और मैदान में चल रही पढ़ाई
झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में हाल ही में हुए दर्दनाक हादसे, जिसमें स्कूल की छत गिरने से पांच मासूम बच्चों की मौत हो गई, ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन इसी के साथ एक और भयावह सच उजागर हो रहा है — राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में भी कई राजकीय विद्यालय जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिनमें बच्चों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है।
जर्जर स्कूल भवनों में शिक्षा नहीं, खतरे की घंटी
बांसवाड़ा जिले के कई ब्लॉकों — जैसे कुशलगढ़, गढ़ी, सज्जनगढ़ और बागीदौरा — में स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के भवन बहुत ही खस्ताहाल हालत में हैं। कहीं दीवारें दरक चुकी हैं, तो कहीं छतों में बड़े-बड़े दरारें हैं। बरसात के दिनों में ये हालात और भी भयावह हो जाते हैं, जब छतों से पानी टपकता है और दीवारें गिरने की कगार पर पहुंच जाती हैं।
मंदिरों, आंगनबाड़ियों और मैदानों में चल रही पढ़ाई
भवनों की खराब हालत के चलते कई विद्यालयों को मंदिरों, पंचायत भवनों या फिर खुले मैदानों में स्थानांतरित कर पढ़ाई करानी पड़ रही है। कुशलगढ़ ब्लॉक के एक स्कूल शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, "हम रोज डर के साए में बच्चों को पढ़ाते हैं। अगर कुछ हो गया, तो ज़िम्मेदारी किसकी होगी?"
सरकारी उपेक्षा और अधर में लटके निर्माण कार्य
स्थानीय ग्रामीणों और शिक्षकों का आरोप है कि पिछले कई वर्षों से स्कूल भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन विभागीय प्रक्रिया इतनी धीमी है कि आज तक कुछ ठोस नहीं हुआ। कुछ स्थानों पर भवन निर्माण कार्य की स्वीकृति तो मिली, लेकिन बजट जारी नहीं हुआ। वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनका निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है।
बच्चों की जान जोखिम में
विद्यालयों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे इस खतरे से अनजान हैं, लेकिन उनके अभिभावकों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। बागीदौरा क्षेत्र की एक छात्रा की मां बताती हैं, "हर दिन दुआ करती हूं कि बच्ची सुरक्षित घर लौटे। पढ़ाई ज़रूरी है, पर जान उससे भी कीमती है।"
प्रशासन और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी
पीपलोदी हादसे के बाद यह जरूरी हो गया है कि शिक्षा विभाग तत्काल सभी स्कूल भवनों का फिजिकल ऑडिट करवाए और जर्जर भवनों में कक्षाएं बंद कराए। साथ ही, वैकल्पिक स्थानों पर सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई सुनिश्चित की जाए।