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बांसवाड़ा में छात्राओं ने जली और कच्ची रोटियों की शिकायत लेकर जिला कलक्ट्रेट पहुंचकर विरोध जताया

 

बांसवाड़ा शहर के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की आदिवासी छात्राओं ने छात्रावास में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर जिला कलक्ट्रेट की दहलीज पर विरोध प्रदर्शन किया। छात्राओं ने कलक्ट्रेट पहुंचकर जली हुई रोटियां और कच्चे पोहे अधिकारियों के सामने रख दिए और बताया कि उन्हें रोजाना खराब और अवांछनीय भोजन परोसा जाता है।

छात्राओं ने अतिरिक्त जिला कलक्टर राजीव द्विवेदी को बताया, “साहब! हमें जो खाना दिया जाता है, वह जानवर भी न खाएं। कभी रोटी जली होती है तो कभी पोहा कच्चा होता है। विरोध करने पर हमें चुप करवा दिया जाता है।” उनका कहना था कि खाना खाने योग्य नहीं है और लगातार इस तरह का भोजन मिलने से उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है।

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन में चिंता पैदा कर दी है। अतिरिक्त जिला कलक्टर राजीव द्विवेदी ने छात्राओं की शिकायत को गंभीरता से लिया और तुरंत विद्यालय के छात्रावास की भोजन व्यवस्था की जांच का आदेश दिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जल्द से जल्द उचित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित किया जाए।

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी छात्राओं का समर्थन किया और कहा कि सरकारी बालिका विद्यालयों में छात्राओं को गुणवत्ता और पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराना प्राथमिक जिम्मेदारी है।

इस मामले ने शिक्षा और छात्रावास व्यवस्थाओं में निगरानी और सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने, इसके लिए व्यवस्था सख्त की जाएगी।

छात्राओं की हिम्मत और जागरूकता ने यह संदेश दिया है कि अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना जरूरी है और प्रशासन को इसके प्रति सतर्क रहना चाहिए।