सरिस्का टाइगर रिज़र्व में बाघों की वापसी की 17वीं वर्षगांठ
28 जून को राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिज़र्व के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि इस दिन ने बाघों की वापसी की 17वीं वर्षगांठ मनाई। यह वह दिन था जब सरिस्का में बाघों की आबादी का पुनर्निर्माण शुरू हुआ था, और तब से इस क्षेत्र में बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखने को मिली है।
🔹 सरिस्का टाइगर रिज़र्व का महत्व
सरिस्का 57 करोड़ वर्ष पुरानी अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित एकमात्र बाघ अभयारण्य है। यह पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी दो पर्वत श्रृंखलाओं में से एक मानी जाती है, जिससे सरिस्का की जैव विविधता और ऐतिहासिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
सरिस्का ने अपने बाघों को शिकारियों और अभ्यारण्य के अंदर स्थित कुछ लालची ग्रामीणों के हाथों खो दिया था, लेकिन आज की तारीख में यह रोज़गार और जैविक संरक्षण के मॉडल के रूप में उभर रहा है।
🔹 बाघों की वापसी
सरिस्का में बाघों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में बहुत सुधरी है। पहले बाघों का शिकार और बाघों के संरक्षण की कमी के कारण सरिस्का में बाघों की संख्या घटकर सिर्फ एक रह गई थी। लेकिन 2005 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा बाघों के पुनर्वास का कार्य शुरू किया गया, और इसके बाद सरिस्का में बाघों की वापसी का अभियान तेज हुआ।
सरिस्का में बाघों की वापसी की 17वीं वर्षगांठ पर यह खुशी की बात है कि यहां अब बाघों की संख्या बढ़ी है, और यह क्षेत्र न केवल बाघों के लिए बल्कि जैविक विविधता के लिए भी एक महत्वपूर्ण अभयारण्य बन गया है।
🔹 संरक्षण की दिशा में प्रयास
सरिस्का में बाघों की वापसी के बाद, वहां के वन विभाग ने वनीकरण और जैविक विविधता संरक्षण के लिए कई पहलें की हैं। विकसित बाघ संरक्षण कार्यक्रम के तहत, सरिस्का में न केवल बाघों को पुनः स्थापित किया गया है, बल्कि इस क्षेत्र में वन्य जीवों की अन्य प्रजातियों का भी संरक्षण किया गया है।
इसके अलावा, शिकार और वनों की अतिक्रमण को रोकने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ तालमेल बढ़ाया गया है। अब सरिस्का में बाघों की आबादी बढ़कर दस से अधिक बाघों तक पहुँच चुकी है, और यह संख्या आने वाले वर्षों में और बढ़ने की उम्मीद है।