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Aligarh  वीवीपैट मशीन क्या होती है मतदान में कैसे आती है काम

 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  जब कोई मतदाता ईवीएम में बटन दबाता है तो वीवीपैट के माध्यम से एक पर्ची छपती है. पर्ची में उम्मीदवार का चुनाव चिह्न और नाम होता है. यह मतदाता को पसंद सत्यापित करने की अनुमति देता है. वीवीपैट में कांच के केस में मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देने के बाद पर्ची काटकर वीवीपैट मशीन में बने ड्रॉप बॉक्स में डाल दी जाती है. तब एक बीप की आवाज सुनाई देती है. मशीनों तक केवल मतदान अधिकारी जा सकते हैं.

कितनी वीवीपैट स्लिप गिनी जाती है

लोकसभा चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ एक बूथ पर पर्चियों का मिलान होता था लेकिन विपक्षी दलों की मांग पर कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वालीं सभी विधानसभाओं के पांच बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाए.

कब पहली बार इस्तेमाल

साल 13 में ही पहली बार नागालैंड के विधानसभा चुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल हुआ. इसके बाद चुनाव आयोग ने चरणवार अलग-अलग चुनाव में वीवीपैट को शामिल किया और  आते-आते सभी चुनाव में हर स्तर पर वीवीपैट अनिवार्य हो गया.

वीवीपैट कराती है देरी

मतगणना के दौरान कई बार ऐसा होता है कि उम्मीदवार अपने संदेह को दूर करने के लिए मशीनों से वोटों की गणना के बाद वीवीपैट मशीनों की पर्ची भी गिनवाते हैं. इससे परिणाम आने में देरी हो सकती है.

ऐसे होती है वोटों की गिनती

● काउंटिंग सेंटर में होती है 14 टेबल, आयोग के निर्देश पर बढ़ सकती हैं

● काउंटिंग सेंटर में उम्मीदवार या उसका एजेंट ही रहता है

● वोटों की गणना रिटर्निंग ऑफिसर की देखरेख में होती है

● सिर्फ ऑफिशियल कैमरे से ही वीडियोग्राफी हो सकती है

● मतगणना स्थल के 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू रहती है

 

 

अलीगढ़ न्यूज़ डेस्क