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Aligarh  वक्फ संपत्ति के सर्वे को लेकर गरमाई सियासत
 

 


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   यूपी में मदरसा के बाद अब वक्फ संपत्ति के सर्वे को लेकर सियासत गरमा गई है. विपक्षी इस सर्वे को निकाय व 2024 के चुनाव से जोड़कर वर्ग विशेष के खिलाफ सोची-समझी साजिश बता रहे हैं.
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में प्रदेश भर की करीब 1.25 लाख वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं. इनमें मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह, दुकानें, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मकान आदि संपत्तियां शामिल है. बोर्ड के रजिस्टर दफा 37 में वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड यह दर्ज हैं. इनमें कई ऐसी संपत्तियां वक्फ में दर्ज हुईं जो राजस्व रिकार्ड में बंजर, ऊसर, भीटा में दर्ज हैं. यह संपत्तियां 1989 में राजस्व विभाग के एक शासनादेश के तहत दर्ज हुईं. जिसमें कहा गया था कि बंजर, ऊसर, भीटा आदि को भी प्रयोग के आधार पर वक्फ के रूपए में दर्ज किए जाएं. बीते सालों में गैर वक्फ संपत्तियों को भी वक्फ में दर्ज कर लिया गया. ग्राम सभा, नगरीय निकायों की सार्वजनिक संपत्तियां भी वक्फ बन गईं. अब शासन ने 1989 में जारी शासनादेश को तत्काल प्रभाव से निरसित करते हुए इसके अर्न्तगत की गईं कार्यवाहियों को नियमानुसार दुरूस्त करने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के सभी जिलों को एक माह में अपनी रिपोर्ट शासन को भेजनी है.
बेशक अभी सर्वे शुरू नहीं हुआ है लेकिन लेकर विपक्ष ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है. सपा, बसपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि महंगाई, बेरोजगारी सहित अन्य जनहित के मुद्दों पर प्रदेश सरकार फेल साबित हो रही है. इन मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए इस तरह के सर्वे कराए जा रहे हैं. निकाय चुनाव निकट है, ऐसे में प्रदेश सरकार धर्म के नाम पर जनता के बीच खाई बना रही


अलीगढ़ न्यूज़ डेस्क