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अजमेर में साइबर ठगी का बड़ा खुलासा, बिजनेसमैन दंपति को चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 40 लाख की ठगी

 

अजमेर से एक सनसनीखेज साइबर अपराध का मामला सामने आया है, जिसने आम जनता के साथ-साथ प्रशासन को भी चौंका दिया है। एक स्थानीय बिजनेसमैन और उसकी पत्नी को करीब चार दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर उनसे 40 लाख रुपये की ठगी की गई।

जानकारी के अनुसार, ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बताकर पीड़ित दंपति को फोन किया और दावा किया कि उनके बैंक खाते में अवैध ब्लैक मनी ट्रांजेक्शन पाए गए हैं। डर का माहौल बनाते हुए ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए उनसे लगातार संपर्क में रहकर उन्हें मानसिक दबाव में रखा।

कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट?
ठगों ने पीड़ित को बताया कि उन्हें तत्काल जांच के लिए सहयोग करना होगा और मोबाइल कैमरे को ऑन रखने का निर्देश दिया। इसके बाद लगातार वीडियो कॉल पर नजर रखते हुए उन्हें चार दिनों तक घर में ही ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया। इस दौरान उन्होंने दंपति को घर से बाहर निकलने से मना किया और धमकाया कि ऐसा करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

फर्जी दस्तावेजों से डराया
साइबर अपराधियों ने फर्जी दस्तावेज दिखाकर कहा कि बिजनेसमैन का नाम मनी लॉन्ड्रिंग और ड्रग तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में शामिल है। उन्होंने डर का माहौल बना दिया और कहा कि जांच एजेंसियों से बचने के लिए उन्हें एक निश्चित राशि जमा करनी होगी, ताकि वे खुद को निर्दोष साबित कर सकें।

40 लाख रुपये की ठगी
भयभीत होकर दंपति ने ठगों के बताए अनुसार विभिन्न बैंक खातों में कुल 40 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने पूरे समय उन्हें विश्वास दिलाया कि यह रकम जांच के बाद उन्हें वापस कर दी जाएगी, लेकिन पैसे जाते ही ठगों ने संपर्क तोड़ दिया।

साइबर थाना पुलिस कर रही जांच
घटना की जानकारी मिलते ही पीड़ित दंपति ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अब कॉल डिटेल्स, ट्रांजेक्शन हिस्ट्री और बैंक खातों की जांच शुरू कर दी है। पुलिस को शक है कि यह किसी अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का काम हो सकता है।

पुलिस की अपील
साइबर थाना पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति अगर खुद को किसी अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करे और डराकर पैसा मांगने की कोशिश करे, तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर या नजदीकी थाने में सूचना दें।