Agra फतेहपुर सीकरी को सिकरवार राजाओं ने बसाया, वाद दायर
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क फतेहपुर सीकरी फिर से चर्चा में आ गई है. एक अधिवक्ता ने इसे विजयपुर सीकरी बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में वाद दायर कर दिया है. कहा गया है कि फतेहपुर सीकरी को सिकरवार राजाओं ने बसाया था.
वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी रिसर्च करने के दौरान पाया कि वर्ष 1978-1988 के बीच भारत सरकार के शिक्षा मंत्री नुरुल हसन ने एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के अधीन फतेहपुर सीकरी का उत्खनन व पुरातात्विक अवशेषों का अध्ययन करवाया था. यह उत्खनन एएमयू व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा किया गया था. यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आरसी गौड़ व एएसआई के डब्लू एच सिद्दीकी के निर्देशन में हुआ, लेकिन 11 वर्ष तक चले उत्खनन में क्या-क्या मिला इसकी रिपोर्ट आजतक विभाग द्वारा प्रकाशित नहीं की गई.
दायर वाद में कहा गया कि फतेहपुर सीकरी का मूलनाम विजयपुर सीकरी था. इस नाम को सबसे पहले बाबर ने बदला. अधिवक्ता ने बताया कि फतेहपुर सीकरी किले परिसर में मरियम की कोठी नाम से भवन है जिसकी दीवार पर शिवलिंग खुदा है और उसमें राम-कृष्ण-हनुमान के चित्र थे. यदि एएसआई के पास अकबर-जोधाबाई के विवाह के प्रमाण नहीं हैं तो किस आधार पर फतेहपुर सीकरी में जोधाबाई का महल नाम से संरक्षित किया है. यदि जोधाबाई ही मरियम उज़ जमानी थी तो सिकंदरा पर मरियम का मकबरा और अर्जुन नगर में जोधाबाई की छतरी भी स्थित है. न्यायालय ने नोटिस जारी करने का आदेश करते हुए सुनवाई की तिथि सात अक्तूबर नियत की है.
साक्ष्य के अभाव में दुराचार का आरोपित बरी
घर में घुसकर दुराचार और जान से मारने की धमकी देने के मामले में आरोपित विष्णु उर्फ विनय निवासी निबोहरा को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने बरी करने के आदेश दिए. आरोपित की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार कुशवाह ने पैरवी की. वादी ने तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया कि 12 दिसंबर 2010 की सुबह वह खेत पर था. घर पर उसकी मां और पत्नी मौजूद थी. उसी दौरान आरोपित आदि घर में घुस आए. हथियारों के बल पर आरोपियों ने वादी की पत्नी के साथ दुराचार किया.
आगरा न्यूज़ डेस्क