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म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ‘फंड ऑफ फंड्स’ एक बेहतर विकल्प क्या है जाने आज

 

मौजूदा के समय में अधिकांश निवेशक म्यूचुअल फंड के बारे में जानते हैं। उनमें से बहुत सारे इक्विटी या डेट आधारित म्यूचुअल फंड में निवेश भी करते हैं। हालांकि, बहुत थोड़े से निवेशक ‘फंड ऑफ फंड्स’ और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के बारे में जानते हैं। हम आपको आज ‘फंड ऑफ फंड्स’ के बारे में बता रहे हैं कि कैसे यह आम म्यूचुअल फंड निवेश से अलग है। साथ ही क्यों इसमें निवेश पर कम जोखिम कम और अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है।

क्या हैं ‘फंड ऑफ फंड्स’ फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) म्यूचुअल फंड की ऐसी स्कीमें है जो दूसरी स्कीमों में निवेश करती हैं। इस तरह किसी एसेट क्लास में सीधे निवेश करने की जगह फंड मैनेजर उस स्कीम में पैसा लगाते हैं जिसका पहले से ही इसमें निवेश है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर फंड मैनेजर सोने में निवेश करना चाहता है तो वह सोने में निवेश करने वाली गोल्ड स्कीम में पैसा लगाएगा। इसका मतलब यह है कि फंड ऑफ फंड्स में कंपनी के शेयर या बॉन्ड नहीं होते हैं। बजाय इसके फंड ऑफ फंड्स अन्य स्कीमों की यूनिट होल्ड करते हैं। एक फंड ऑफ फंड्स अपने फंड हाउस या अन्य फंड हाउस की कई स्कीमों में निवेश कर सकता है।

जोखिम घटाने में मददगार ऐसे निवेशक जो अपने निवेश पर जोखिम घटाना चाहते हैं और पोर्टफोलियो को डायवर्स‍िफाई करना चाहते हैं, वे फंड ऑफ फंड्स में पैसा लगा सकते हैं। ये उन निवेशकों के लिए भी अच्छा विकल्प है जो कम जोखिम में स्थिर रिटर्न चाहते हैं। इसकी सबसे अच्छी बात है कि बाजार में तेज उतार-चढ़ाव आने या छोटे समय में बड़ी गिरावट आने पर निवेश पर बहत ही कम प्रभाव होता है। छोटे निवेशकों के लिए इसका सबसे बड़ा लाभ लाभ है कि वे कम रकम के साथ अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं। इसमें पोर्टफोलियो को ट्रैक करने में आसानी होती है। निवेश अलग अलग हेज फंडों में किया जाता है, जिससे ज्यादा रिटर्न की संभावना होती है।

फंड ऑफ फंड्स कितने तरह के निवेश के अनुसार, फंड ऑफ फंड्स को म्यूचुअल फंड, हेज फंड, निवेश ट्रस्ट, निजी इक्विटी फंड, ईटीएफ आदि के रूप में विभाजित किया जाता है। वैसे आमतौर पर इस दो श्रेणी में बांट सकते हैं। एक वह जो घरेलू बाजार पर फोकस करती है। दूसरी वे स्कीमें जिनका जोर वैश्विक बाजार पर होता है।