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चेक बाउंस के मामले निपटाने के लिए अदालतें बनाए सरकार जाने क्या है नया मामला

 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस के केसों के त्वरित निपटारे के लिए अदालतें गठित करने पर विचार करे। यह समस्या विकराल और बदशक्ल हो गई है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने एसजी तुषार मेहता से कहा कि संविधान का अनुच्छेद 247 जहां सरकार को अतिरक्त अदालतें गठित करने का अधिकार देता है वहीं यह उस पर कर्तव्य भी लगाता है।

पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि कोर्ट का पहले का आदेश है कि कोई भी कानून बनाने से पहले उसके न्यायिक प्रभाव को अध्ययन होना जरूरी है। नए कानून का न्यायिक व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन जरूरी है। कोर्ट ने बिहार का उदाहरण दिया जहां मद्य निषेष कानून लागू होने के बाद कोर्ट जमानत की हजारों याचिकाओं से चोक हो गए।कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंसिंग के केस लगभग तीस फीसदी हैं, इसके लिए कानून को बनाने से पहले प्रभाव का अध्ययन क्यों नहीं किया गया, मगर ये अध्ययन अब भी किया जा सकता है।

चेक बाउंसिंग के केसों के कारण स्थिति बहुत खराब हो गई है। सरकार क्यों नहीं एक अस्थायी कानून बनाकर अदालतें गठित कर सकती है। इसमें रिटायर जजों को सेवा में लिया जा सकता है। सरकार ने कहा कि कोर्ट का विचार सही है, लेकिन कानून बनाने से पहले विस्तृत विचार विमर्श और परामर्श की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मामले का बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया जाए। सुनवाई बुधवार को होगी।