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सोने से दूरी, चांदी से दोस्ती, निवेश को लेकर समझेंं वॉरेन बफे का साफ नजरिया

 

दुनिया के सबसे सफल निवेशकों में शुमार वॉरेन बफे ने शेयर बाजार से लेकर बीमा, बैंकिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर तक में अरबों डॉलर का निवेश किया है, लेकिन एक चीज जिससे वे हमेशा दूरी बनाए रहे हैं, वह है सोना। बफे का मानना है कि सोना एक नॉन-प्रोडक्टिव एसेट है, जो किसी तरह की वैल्यू क्रिएशन नहीं करता। यही वजह है कि वे शुरू से ही गोल्ड में निवेश के खिलाफ रहे हैं।

वॉरेन बफे का कहना है कि कोई भी एसेट तभी मूल्यवान बनता है, जब वह उत्पादन, रोजगार या आय पैदा करे। उनके अनुसार, सोना न तो कुछ बनाता है, न किसी को रोजगार देता है और न ही भविष्य में कोई कैश फ्लो जेनरेट करता है। एक बार दिए गए बयान में उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा था, “सोना कुछ नहीं करता, वह बस पड़ा रहता है और आपको देखता रहता है।”

बफे के मुताबिक, सोने में निवेश करने वाले लोग आमतौर पर डर के आधार पर फैसला करते हैं। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता, महंगाई या युद्ध जैसी स्थितियां बनती हैं, तब लोग सुरक्षित निवेश के नाम पर सोने की ओर भागते हैं। बफे मानते हैं कि डर पर आधारित निवेश लंबे समय में बेहतर रिटर्न नहीं देता।

हालांकि, सोने से दूरी के बावजूद बफे ने चांदी में निवेश किया है। उनके अनुसार, चांदी का इस्तेमाल औद्योगिक क्षेत्र में होता है और इसका व्यावहारिक मूल्य है। इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल उपकरण, सोलर पैनल और अन्य उद्योगों में चांदी की मांग रहती है, जिससे यह एक प्रोडक्टिव कमोडिटी बन जाती है। यही वजह है कि बफे ने सोने की तुलना में चांदी को प्राथमिकता दी।

बफे का निवेश दर्शन हमेशा से लॉन्ग टर्म वैल्यू क्रिएशन पर केंद्रित रहा है। वे उन कंपनियों और एसेट्स में निवेश करना पसंद करते हैं, जो समय के साथ मुनाफा बढ़ाएं, रोजगार पैदा करें और अर्थव्यवस्था में योगदान दें। इसी सोच के चलते उन्होंने कोका-कोला, एप्पल, अमेरिकन एक्सप्रेस और बैंकिंग सेक्टर में बड़े निवेश किए, लेकिन गोल्ड को कभी अपनी रणनीति का हिस्सा नहीं बनाया।

 बफे का नजरिया उन निवेशकों के लिए सीख है, जो भावनाओं या डर के आधार पर निवेश करते हैं। हालांकि, कई निवेश सलाहकार यह भी कहते हैं कि सोना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के लिहाज से उपयोगी हो सकता है, लेकिन इसे मुख्य निवेश साधन बनाना हमेशा फायदेमंद नहीं होता।