टैरिफ वॉर की असली कहानी: निर्मला सीतारमण ने खोली ट्रंप की रणनीति की पोल, बताया अमेरिका क्या चाहता है
अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में देखी गई उथल-पुथल ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। शेयर बाजारों में भारी गिरावट, देशों के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध और तनावपूर्ण राजनयिक संबंध इस नीति के सीधे परिणाम रहे हैं। इसके नकारात्मक प्रभाव अमेरिका के अंदर भी महसूस किए गए हैं, जहां बढ़ती महंगाई ने आम नागरिकों को प्रभावित किया है, इस बात को कई अमेरिकी सांसदों ने भी माना है।
निर्मला सीतारमण: टैरिफ एक हथियार है
इस पृष्ठभूमि में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025' में बोलते हुए साफ तौर पर कहा कि वैश्विक व्यापार को वर्तमान में टैरिफ और अन्य उपायों के माध्यम से एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अब यह बिल्कुल साफ है कि वैश्विक व्यापार न तो पूरी तरह से स्वतंत्र है और न ही निष्पक्ष है, और इसलिए भारत को बहुत सावधानी और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।
सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ टैरिफ पर चर्चा करना ही काफी नहीं है; देश की समग्र आर्थिक ताकत ही भारत को वैश्विक मंच पर अतिरिक्त लाभ दिलाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पर अक्सर संरक्षणवादी होने या "टैरिफ किंग" होने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत ने कभी भी टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया है। भारत ने केवल अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए टैरिफ लगाए हैं, ताकि कोई भी विदेशी देश या कंपनी सस्ते या अतिरिक्त सामान से बाजार को भरकर स्थानीय उद्योगों को नुकसान न पहुंचाए।
भारत टैरिफ नीति के खिलाफ
वित्त मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि आज कुछ देश बिना किसी खास विरोध का सामना किए खुलेआम ऊंचे टैरिफ की घोषणा क्यों कर रहे हैं, जबकि अतीत में ऐसे कार्यों की आलोचना की जाती थी। उन्होंने इसे वैश्विक व्यापार का "नया सामान्य" बताया। उनके बयान महत्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि अमेरिका सहित कई देशों की टैरिफ नीतियां वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर रही हैं, और हाल ही में, मेक्सिको जैसे देशों ने भी उन देशों पर ऊंचे टैरिफ की घोषणा की है जिनके साथ उनके मुक्त व्यापार समझौते नहीं हैं। ऐसी परिस्थितियों में, भारत की सतर्क और संतुलित व्यापार नीति को उसकी आर्थिक स्थिरता और दीर्घकालिक हितों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।