रेंट एग्रीमेंट खत्म हो गया लेकिन किरायेदार नहीं कर रहा घर खाली, तो जाने मकानमालिक क्या कर सकते है कानूनी कार्यवाही
हाल ही में गाजियाबाद में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ आठ महीने से किराया न देने वाले किराएदार ने अपनी मकान मालकिन का मर्डर कर दिया। वजह यह थी कि मकान मालकिन ने बकाया किराया मांगा था। इस घटना से लोगों के मन में डर बैठ गया है।
किराए के एग्रीमेंट खत्म होने के बाद मकान मालिकों को किराएदारों से सावधान रहने की ज़रूरत है। अगर 11 महीने का किराए का एग्रीमेंट खत्म हो गया है और किराएदार अभी भी प्रॉपर्टी खाली नहीं कर रहा है, तो कानून उसे गैर-कानूनी कब्जेदार मान सकता है।
ऐसी स्थिति में मकान मालिक के पास कानूनी अधिकार होते हैं। पहला और सबसे सुरक्षित कानूनी कदम है वकील के ज़रिए कानूनी नोटिस भेजना। नोटिस में साफ तौर पर लिखा होना चाहिए कि एग्रीमेंट की अवधि खत्म हो गई है और प्रॉपर्टी को 15 से 30 दिनों के अंदर खाली करना होगा।
इसके साथ ही, हर्जाना या बकाया किराया भी मांगा जा सकता है। अक्सर, सिर्फ़ नोटिस से ही मामला सुलझ जाता है। अगर आपने एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी किराया लेना जारी रखा है, तो कानून इसे महीने-दर-महीने की किराएदारी मान सकता है। ऐसी स्थिति में ट्रांसफर ऑफ़ प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 106 लागू होती है।
इस धारा के तहत, प्रॉपर्टी खाली कराने के लिए 15 दिन का लिखित नोटिस देना ज़रूरी है; वरना मामला कमज़ोर हो सकता है। अगर एग्रीमेंट खत्म हो गया है और कोई किराया नहीं लिया जा रहा है, तो किराएदार की स्थिति काफी कमज़ोर हो जाती है। उसके कब्ज़े को पूरी तरह से गैर-कानूनी माना जा सकता है।
तब मकान मालिक सिविल कोर्ट में बेदखली का केस दायर कर सकता है। कई मामलों में, कोर्ट एक या दो सुनवाई में ही फैसला दे देता है, जो अक्सर मकान मालिक के पक्ष में होता है। सिर्फ़ प्रॉपर्टी खाली न करने पर पुलिस सीधे कार्रवाई नहीं करती है।
हालांकि, अगर किराएदार धमकी देता है, जबरदस्ती प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करता है, या एग्रीमेंट धोखाधड़ी वाला निकलता है, तो मामला आपराधिक बन सकता है। BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 329(1) या 329(3) के तहत आपराधिक अतिक्रमण की शिकायत दर्ज की जा सकती है, जिस पर पुलिस कार्रवाई करेगी।