इन वजहों से धड़ाम हुआ शेयर बाजार, खुलते ही मच गया हाहाकार
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है। सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन, बुधवार को, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर खुले। सेंसेक्स 300 अंकों से अधिक गिरा, जबकि निफ्टी में 90 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। शुरुआती कारोबार में ऑटोमोबाइल शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिली, जिनमें टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड जैसे प्रमुख स्टॉक्स शामिल थे। बाजार की इस अस्थिरता के पीछे कई बड़े कारण हैं, जिनमें से मुख्य रूप से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां और भारतीय रुपये की कमजोरी शामिल हैं।
सेंसेक्स-निफ्टी की खराब शुरुआत
बाजार खुलते ही सेंसेक्स अपने पिछले बंद स्तर 82,102.10 से गिरकर 81,917 पर खुला और कुछ ही मिनटों में 382 अंक से ज्यादा फिसलकर 81,720.29 पर आ गया। इसी तरह, निफ्टी भी 25,169.50 के पिछले बंद स्तर से गिरकर 25,108.75 पर खुला और जल्द ही 100 अंक से ज्यादा टूटकर 25,053 पर पहुंच गया। यह लगातार तीसरे दिन की गिरावट है जो निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा रही है। हालांकि, कुछ कंपनियों के शेयर में मामूली उछाल भी देखने को मिला। शुरुआती कारोबार में 994 कंपनियों के शेयर गिरावट में थे, जबकि 1204 कंपनियों के शेयर मामूली बढ़त में खुले।
सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयर
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स के 30 में से 24 शेयर गिरावट में थे। इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शेयरों में टेक महिंद्रा (1.71%), टाटा मोटर्स (1.70%) और भारती एयरटेल (1%) शामिल थे। मिडकैप सेगमेंट में केईआई शेयर (2.50%) और अशोक लेलैंड (2.30%) में भी तेज गिरावट देखी गई। स्मॉलकैप कंपनियों में आईआईएल स्टॉक (7.86%) और बजाज कंज्यूमर्स (4.20%) सबसे ज्यादा टूटे। ये आंकड़े बाजार में व्यापक बिकवाली का संकेत देते हैं, क्योंकि निवेशक जोखिम भरे शेयरों से दूरी बना रहे हैं।
बाजार में गिरावट के तीन बड़े कारण
भारतीय शेयर बाजार में जारी इस गिरावट के पीछे तीन प्रमुख कारक हैं:
-
ट्रंप के टैरिफ: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 50% हाई टैरिफ लगाने की बात कही थी, जिसका असर अभी भी भारतीय बाजार पर दिख रहा है। यह टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकती है और भारत के निर्यात पर नकारात्मक असर डाल सकती है, जिससे निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ है।
-
H1B वीजा शुल्क वृद्धि: ट्रंप की एक और नीति, एच1बी वीजा शुल्क में वृद्धि ने भी बाजार के सेंटीमेंट को खराब किया है। यह कदम विशेष रूप से भारतीय आईटी कंपनियों को प्रभावित कर सकता है, जिनकी आय का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी परियोजनाओं से आता है। इस नीति के डर से कई आईटी शेयरों में गिरावट देखी गई।
-
रुपये में कमजोरी: भारतीय रुपये में लगातार गिरावट भी बाजार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे आयात महंगा हो रहा है और विदेशी निवेशकों का निवेश कम हो सकता है। एक कमजोर रुपया विदेशी मुद्रा में कमाई करने वाली कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यह समग्र आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा पैदा करता है।