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50 से लेकर 200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच होंगे खरीद के स्लैब शिवराज सरकार ने आखिर मान ली धान मिल संचालकों की मांग

 

मध्यप्रदेश सरकार के धान मिल संचालकों के आगे झुकना पड़ा. सरकार ने मिलिंग के लिए राशि बढ़ाकर 50 रुपए से 200 रुपए प्रति क्विंटल तक कर दी है.इसकी अहम वजह है कि बड़ी मात्रा में धान का उपार्जन किया जा चुका है. राज्य सरकार के पास 37 लाख 26 हज़ार मीट्रिक टन धान है जो कि गोदामों में पड़ा है. इसके अलावा पुराना 6 लाख टन धान पहले से गोदामों में मौजूद हैं. सूत्रों की मानें तो लंबे समय से इस धान को उठाने के लिए धान मिल संचालक तैयार नहीं थे. धान मिल संचालक अपनी कुछ मांगों पर अड़े हुए थे.

धान मिल संचालकों की मांग थी कि एक क्विंटल धान से 55 किलो चावल देने का नियम बने जो कि फिलहाल 67 किलो है. बाद में मिलर्स 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि की मांग पर अड़े थे. राज्य सरकार का कहना था कि यह बातें राज्य सरकार के स्तर पर तय नहीं हो सकतीं है. इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति लगेगी, जो संभव नहीं है क्योंकि मध्य प्रदेश को छूट देने से अन्य राज्यों में भी यह मांग उठ सकती है.

सूत्रों की मानें तो कुछ राइस मिल संचालकों के जांच की गई तो पता चला कि नियमों को तोड़ मरोड़ कर वो यहां का अच्छा चावल लेकर दक्षिण भारत के राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू और कर्नाटक में बेच देते हैं और वहां का घटिया क्वालिटी का चावल लेकर मध्यप्रदेश में सप्लाई करते हैं. इसके बाद राज्य सरकार ने मिलर्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया, जिसे लेकर मिलर्स ने एकजुट होकर नाराज़गी ज़ाहिर कर दी. अब जब सरकार धान को लेकर मजबूर दिखी तो मिलर्स अपनी शर्तें मनवाने में कामयाब हो गए.