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चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उंचे स्तर पर रहेगी महंगाई दर : आरबीआई गवर्नर

 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में महंगाई दर ऊंचे स्तर पर रह सकती है, लेकिन अनुकूल बेस इफेक्ट के चलते वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान महंगाई दर में नरमी आ सकती है। गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मानना है कि कोविड-19 महामारी के कारण सप्लाई चेन बाधित रहेगी और इसका असर खाद्य व अखाद्य दोनों प्रकार की वस्तुओं पर देखा रहेगा।

मौद्रिक समीक्षा बैठक के फैसलों की घोषणा करते हुए दास ने कहा, “रबी फसलों की बंपर पैदावार होने और खासतौर से सरकारी खरीद ज्यादा होने के कारण खुले बाजार की बिक्री और सार्वजनिक वितरण में वृद्धि से खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अनुकूल रह सकती है। फिर भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की संभावना बनी रहेगी।”

एमपीसी के समायोजी रुख बरकरार रखने की सहमति जताने से आनेवाले दिनों में रेपो रेट में और कटौती की संभावना बनी हुई है।

खुदरा महंगाई दर ऊंची होने की वजह से एमपीसी ने प्रमुख महंगाई दर यानी रेपो रेट को स्थिर रहने का फैसला लिया। केंद्रीय बैंक ने आर्थिक विकासपरक अपने समायोजी रुख बरकरार रखते हुए रेपो रेट चार फीसदी पर स्थिर रखा और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी में भी कोई फेरबदल नहीं किया।

यह उम्मीद की जा रही थी कि एमपीसी रेपो रेट को स्थिर रखेगी क्योंकि हालिया आंड़कों से महंगाई दर बढ़ने के संकेत मिले। जून में खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी रही। आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर चार फीसदी लक्ष्य के ऊपरी सीमा तक पहुंच गई। महंगाई दर का लक्ष्य दो फीसदी कमी या वृद्धि के साथ चार फीसदी रखी गई है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस