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आखिर क्यों आम आदमी का सता रही ईएमआई की चिंता? एक्सपर्ट बोले- 'ये बड़ा संकट...'

 

आज के हाईटेक युग में, जहाँ सारे वित्तीय काम आपके हाथ में मौजूद मोबाइल फ़ोन से हो जाते हैं, वहीं कई ऐसी सुविधाएँ भी हैं, जिससे लोगों को अब बड़ी से बड़ी चीज़ खरीदने के लिए अपनी जेब पर नज़र डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती, चाहे वो अपना घर खरीदना हो या घरेलू सामान या फिर अस्पताल में इलाज, सब कुछ अब आसान किश्तों में उपलब्ध है। लेकिन EMI का यह मददगार दिखने वाला विकल्प, खासकर मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी समस्या (Crisis For Middle Class) का कारण भी बन रहा है, जो चुपचाप लोगों की कमाई साफ़ कर रहा है और उनकी बचत को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञ तो यहाँ तक कह रहे हैं कि इस समय लोगों पर महंगाई से ज़्यादा इन EMI का बोझ पड़ रहा है।

EMI मध्यम वर्ग के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है, सिर्फ़ बड़ी चीज़ें ही नहीं, अब चाहे ट्रेन हो, फ़्लाइट हो या रोज़मर्रा का किराना सामान, आप अपनी EMI ख़ुद बना सकते हैं और उसे मासिक किश्तों में चुका सकते हैं। वित्तीय विशेषज्ञ तपस चक्रवर्ती ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में इस पूरे गणित को समझाते हुए कहा है कि यह किसी जाल से कम नहीं है जिसकी वजह से भारत का मध्यम वर्ग दबाव में है और यह सिर्फ़ बढ़ती कीमतों या ज़्यादा टैक्स की वजह से नहीं, बल्कि बढ़ते ईएमआई के बोझ की वजह से है, जो मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बनता जा रहा है।

'एक हाथ से कमाएँ, दूसरे हाथ से कर्ज़ चुकाएँ' विशेषज्ञ तपस चक्रवर्ती ने ईएमआई डेट ट्रैप को एक आसान से फॉर्मूले के ज़रिए समझाया है। उन्होंने लिखा, 'कमाएँ, उधार लें, चुकाएँ, दोहराएँ, बचत नहीं, फिर से स्वाइप करें।' आज के समय में भी यही हक़ीक़त है और यही वजह है कि देश में क्रेडिट कार्ड के ज़रिए खरीदारी में ज़बरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि ईएमआई की सुविधा लोगों पर आर्थिक बोझ कम करने और उनकी मदद करने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन अब यह ज़िंदगी का एक तरीका बन गया है।