खर्च में भारी कटौती से स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर
कोरोना के कारण दुनिया संकट से गुजर रहा है। लाखों लोग कोरोना की चपेट में आ गए हैं। भारत में भी कोरोन का प्रकोप पसरा है। ऐसे में राज्य सरकारों पर स्वास्थ्य प्रणाली को दुरुस्त करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। कोरोना से निपटने के लिए राज्य कितनी तरह से मजबूत है। ये उनके वित्तीय स्थिति पर निर्भर है।एक्सप्रेस रिसर्च के अनुसार, कोरोना से निपटना इतना आसान काम नहीं है। पिछले बजट के मुकाबले राज्यों के हालिया बजट में वास्तविक राजस्व में करीब 3 करोड़ रुपये की कमी आई है।
गुजरात, राजस्थान, असम, हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं पर अच्छा खर्च कर पाते हैं, लेकिन पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा और बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल खर्चे के अनुपात में कम खर्च कर पाते हैं। पिछले बजट के अनुसार, कुछ राज्यों के हालिया बजट की तुलना करें तो इन राज्यों की वास्तविक राजस्व में करीब 3 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। इन राज्यों में स्वास्थ्य पर कुल सरकारी खर्च का करीब 69 प्रतिशत हिस्सा है।
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बीमारियों से निपटने के लिए राज्य कितनी तरह से मजबूत है। ये उनके वित्तीय स्थिति पर निर्भर है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले बजट के मुकाबले राज्यों के हालिया बजट में वास्तविक राजस्व में करीब 3 करोड़ रुपये की कमी आई है। बिहार सहित चार राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं के खर्च पर फोकस नहीं है। खर्च में भारी कटौती से स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर