मार्च में अचानक से बंद हुए व्यवसायों और यात्रा पर लगी रोक ने देश और दुनिया को पूरी तरह से चौंका दिया था । अन्लाक के बाद से आए आंकड़ों में भारत में $ 10 बिलियन (73,600 करोड़ रुपये) के कैब बाजार में झटके को देखा गया है। जिसमें ऐप आधारित सेवायें जिनमें मुख्य रूप से उबर और ओला को शामिल किया गया हैं ।
परिवहन उद्योग पर नज़र रखने वाले लोगों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2021 में अपने वार्षिक कारोबार का लगभग एक तिहाई, या लगभग 25,000 करोड़ रुपये खोने के लिए अपने आप को तैयार कर रहा है। जिसमें हजारों ऑपरेटरों कों व्यवसाय से बाहर जाने की उम्मीद की जा रहीं है और सैकड़ों हजारों ड्राइवरों और अन्य श्रमिकों को अपनी आजीविका खोने की संभावना भी दिख रहीं है और साथ ही साथ में बाजार का 20% हिस्सा व्यवस्थित बना हुआ है और ऑटो रिक्शा संचालक बड़े पैमाने पर असंगठित हो गए हैं।
आज के समय में कब यात्राएं ग्राहकों के जीवन का एक अभिन्न यंग बन गया है, कई बाजारों में प्री-कोविद के औसत स्तर के लगभग यह 30 से 50% की यात्रा करती हैं। जिसमें की यह भी लगभग एक चौथाई व्यापार खोने के संकेत को देख रही हैं । अन्य व्यवसायों के विपरीत इसके राजस्व में कमी को पुनर्प्राप्त नहीं किया गया है। भारत में करीब 2 मिलियन कैब और ऑटो रिक्शा है। 2,00,000-3,00,000 ड्राइवर पहले से ही नौकरी से बाहर होने के कगार पर हैं।
वहीं दूसरी तरफ लगभग 800,000 ड्राइवरों को ऐप-आधारित साझा गतिशीलता के तहत पंजीकृत किया गया है और साथ ही पिछले छह महीनों में यह संख्या 200,000-300,000 तक हो गई है क्योंकी सामान्य स्तर से इसमें अभी केब चालक भी अभी सिर्फ 20-30% पर व्यापार के साथ काम कर रहे है ।