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कबाड़ गाड़ियों से बनेगा 10,000 करोड़ का फंड, स्क्रैप पॉलिसी से ऐसे बदलेगी तस्वीर

 
ऑटो न्यूज डेस्क - प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. प्रदूषण को कम करने के लिए पहले ही कई नियम बनाए जा चुके हैं। बता दें कि पहले निजी पेट्रोल और डीजल वाहनों के लिए समय सीमा तय की गई थी कि 10 साल और 15 साल पुराने वाहनों को नहीं चलाया जा सकता है। लेकिन अब यह नियम सरकारी वाहनों पर भी कड़ा होने जा रहा है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि 15 साल बाद सरकारी वाहनों को कबाड़ कर दिया जाएगा और ऐसे वाहन सड़कों पर नजर आएंगे।
नितिन गडकरी ने इस नए नियम को सभी राज्यों के लिए लागू कर दिया है। बता दें कि राज्य सरकारों को अपने दायरे में आने वाले विभागों में इस्तेमाल हो रहे 15 साल पुराने ट्रकों, बसों और कारों को कबाड़ करने को कहा गया है। वह भी एक समय था जब सरकारी वाहनों पर लाल बत्ती नजर आती थी और जब ये वाहन चलते थे तो सड़कों पर इनका हूटर ही गूंजता था। लेकिन कुछ साल पहले पीएम मोदी ने बड़ा कदम उठाते हुए VIP कल्चर को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया था। पीएम मोदी के इस फैसले के बाद सभी सरकारी वाहनों से लाल बत्ती हटा दी गई।
याद दिला दें कि इसी साल मई में हरियाणा में नई रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटी (आरवीएसएफ) के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की थी कि देश के हर जिले में वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए दो से तीन केंद्र बनाए जाएंगे। खोला जाएगा। ऑटोमोटिव स्क्रैपेज पॉलिसी: पिछले साल अगस्त में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (पीएम मोदी) ने ऑटोमोटिव स्क्रैपेज पॉलिसी लॉन्च की, जिसे स्वैच्छिक वाहन बेड़े आधुनिकीकरण कार्यक्रम के रूप में भी जाना जाता है। समारोह के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि इस पॉलिसी से करीब 10 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा।