×

क्यों श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है भोग से मिलने वाला सुख क्षणिक मात्र 

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे ग्रंथ और धार्मिक पुस्तकें है जिनमें मानव जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताई गई है इन्हीं में से एक श्रीमद्भागवत गीता भी एक है जिसे बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का वर्णन किया गया है महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे उसी का उल्लेख गीता में किया गया है। 

इस पवित्र पुस्तक में मनुष्य की हर समस्या, हर परेशानी, हर दुख और हर सुख के बारे में विस्तार से बताया गया है श्रीमद्भागवत गीता मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखने का काम करती है कहा जाता है जो भी व्यक्ति इसमें लिखी बातों को अपने जीवन में उतार लेता है वह खूब तरक्की और सुख को प्राप्त करता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गीता की कुछ महत्वपूर्ण बातें विस्तार से बता रहे है तो आइए जानते है। 

जानिए गीता के अनमोल विचार—
हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता को बेहद पवित्र और पूजनीय बताया गया है इसमें जीवन से जुड़ी हर समस्या का हल छिपा हुआ है गीता में भगवान कृष्ण कहते है कि भोग से मिलने वाला सुख केवल पल भर का होता है जबकि त्याग में स्थायी सुख और आनंद छिपा हुआ है भगवान कहते है कि सत्संग ईश्वर की कृपा से मिलता है लेकिन कुसंगति में भी व्यक्ति अपने कर्मों से ही पड़ता है।

श्रीमद्भागवत गीता में लिखा है कि हर व्यक्ति को वस्त्र बदलने के स्थान पर ह्रदय परिवर्तन पर केंद्रित करना चाहिए गीता में ये भी बताया गया है कि जिसने भी जवानी में अधिक पाप किए है उसे बुढ़ापे में आकर इन पाप कार्मों को भोगना पड़ेगा। भगवान ने स्वयं कहा है कि आनंद मनुष्य के भीतर ही होता है मगर मनुष्य इसे बाहरी सुखों में तलाश करता है भगवान कृष्ण ने कहा है कि मनुष्यों का ईश्वर के सिवा कोई नहीं होता है ऐसे में उसे खुद को परमेश्वर ही लीन कर देना ही बेहतर होगा।