×

शादी के अगले ही दिन क्यों विधवा हो जाते हैं किन्नर, क्या है रहस्य

 

ज्यो​तिष न्यूज़ डेस्क: शादी विवाह जैसे शुभ कार्यों में किन्नरों का आना आम बात है वे आते है और लोगों को बाधाई और आशीर्वाद देते है कहा जाता है कि इनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद बेहद फलित होता है लेकिन इनकी बदुआ को कभी नहीं लेना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि इनकी बदुओं भी दुओं की तरह असर जरूर करती है ऐसे में ऐसे कई लोग है जो किन्नरों के जीवन के बारे में जानने की इच्छा रखते है। 

किन्नरों के जीवन को लेकर कई पहलु आज भी रहस्यमयी है या फिर इनके बारे में लोगों को बहुत कम ही मालूम है आमतौर पर माना जाता है कि किन्नर समाज से अलग थलग रहते है और ये कभी ​शादी नहीं करते है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी हकीकत से रूबरू कर रहा है जिसके अनुसार किन्नर विवाह भी रचाते है और शादी के बाद दुल्हन भी बनते है लेकिन केवल एक रात के लिए, तो आइए जानते है क्या है किन्नरों के जीवन से जुड़ रहस्य। 

ऐसा कहा जाता है कि किन्नर ना तो पूरी तरह से पुरुष होते है और ना ही इनकी गिनती महिलाओं में की जाती है लिहाजा उनकी शादी होती है या नहीं, इस बारे में पूर्णत: कुछ नहीं कहा जा सकता है अलग समुदाय में रहने वाले किन्नर आमतौर पर अविवाहित रहते है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं होता है क्योंकि किन्नर विवाह करत है और केवल एक रात्रि के लिए शादी करके दुल्हन बनते है किन्नरों की शादी किसी व्यक्ति से न होकर ये भगवान से विवाह रचाते है आपको बता दें कि किन्नरों के भगवान अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन नाम से जाना जाता है। 

महाभारत कथा के अनुसार अर्जुन भी अज्ञातवास के समय किन्नर रूप में रहे। कहते है कि हर साल तमिलनाडु के कूवगाम में किन्नरों के विवाह का जश्न मनाया जाता है जिसमें तमिल नव वर्ष की पूर्णिमा से किन्नरों का विवाह उत्सव आरंभ हो जाता है और यह पूरे 18 दिनों तक चलता है वही 17वें दिन किन्नरों का विवाह कराया जाता है लेकिन शादी के अगले ही दिन अरावन देवता की प्रतिमा को पूरे शहर भर में घुमाकर इसे तोड़ दिया जाता है जिसके बाद विवाहित किन्नरें अपना पूरा श्रृंगार उताकर एक विधवा की तरह विलाप करती है, मान्यता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे फिर किसी को किन्नर का जन्म न लेना पड़े।