धार्मिक अनुष्ठान में महिलाएं क्यों बैठती है अपने पति की बाईं ओर
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे रीति रिवाज और परंपराएं है जिनका पालन हर व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार करता है हिंदू शास्त्रों में पत्नी और महिलाओं का स्थान बाईं ओर बताया गया है किसी भी पूजा पाठ, धार्मिक कार्यक्रम या फिर अनुष्ठान में महिलाएं अपने पति की बाई ओर ही बैठती है, जिसको लेकर अधिकतर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि कैसा क्यों होता है आखिर क्यों महिलाओं को धार्मिक अनुष्ठान आदि में पति के बाईं ओर बैठाया जाता है अगर आपके मन में भी ये प्रश्न चल रहा है तो ये लेख आपके लिए ही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव शंकर के बाएं अंग से स्त्री की उत्पत्ति मानी जाती है जिसका प्रतीक शिव का अर्धनारीश्वर शरीर है यही वजह है कि महिलाओं को शास्त्रों में वामंगी यानी बाएं अंग का अधिकार कहा गया है।
वामंगी होने के बावजूद शास्त्रों में यह भी वर्णन मिलता है कि कुछ कामों में महिलाओं को दायीं ओर रहना चाहिए। कहा जाता है कि पत्नी पति की वामंगी होती है इसलिए सिंदूरदान के समय, आशीर्वाद लेते वक्त, भोजन करते समय और बिस्तर में बाई ओर सोने को उचित बताया गया है।
मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ ईश्वर की भी विशेष कृपा व आशीर्वाद मिलता है लेकिन अगर ऐसा करना आप भूल गए है तो इसके लिए भगवान से क्षम प्रार्थना जरूर करनी चाहिए। वही बाईं ओर अधिकार मिलने के बाद भी शास्त्रों में महिलाओं को कुछ कार्यों और स्थान पर दायी ओर रहने के लिए कहा गया है जिसमें कन्यादान, यज्ञकर्म, जातकर्म, विवाह के समय, नामकरण में और अन्न प्राशन के वक्त भी महिलाओं को दायीं ओर ही बैठने के लिए बताया गया है इसे उचित माना जाता है।