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सुहागिन महिलाएं क्यों पहनती हैं पांव में बिछिया, जानिए

 

आपको बता दें कि हर सुहागिन स्त्री अपने पैरों में बिछिया धारण करती हैं, यह सुहागिन महिलाओं का श्रृंगार होता हैं जिसे पैरों की उंगलियों में पहना जाता हैं बिछिया पहनने का चल बहुत ही पुराना हैं। हिंदू धर्म में बिछिया पहनने का चलन वैदिक युग से ही चला आ रहा हैं। इसलिए आज भी नवदुर्गा पूजा में देवी मां को सोलह श्रृंगार के साथ बिछिया चढ़ाया जाता हैं। तो आज हम आपको बिछिया पहनने के फायदें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

बिछिया पहनने का वैज्ञानिक कारण भी होता हैं और शादीशुदा महिलाओं को बिछिया पहनने का स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता हैं रामायण काल में भी बिछिया का वर्णन कुछ इस तरह से मिलता हैं। कहते हैं भारतीय महाकाव्य रामायण में बिछिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। जब रावण ने देवी सीता का अपहरण कर लिया था तो उन्होंने अपनी बिछिया को भगवान श्री राम की पहचान के लिए फेंक दिया था। पांव की बीच की तीन उंगलियों में बिछिया धारण करने का चलन हैं इस उंगली की नस महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध रखती हैं पैरों की उंगली में रिंग पहनने से गर्भाशय और दिल से संबंधित बीमारियों की गुंजाई कम रहती हैं बिछिया सोने व चांदी की होती हैं इससे पहनने से सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ता हैं चांदी ध्रुवीय ऊर्जा से शरीर को ऊर्जावान बना देती हैं। यह मन को भी शांत रखने का काम करती हैं।

वेदों में ऐसा कहा गया हैं कि बिछिया पहनने से महिलाओं का मासिक चक्र नियमित बना रहता हैं बिछिया पांव की उंगलियों में भी एक्यू प्रेशर का काम करती हैं। जिससे तलवे से लेकर नाभि तक सभी मांस पेशियों में रक्त का संचार अच्छी तरह से होता हैं।

हर सुहागिन स्त्री अपने पैरों में बिछिया धारण करती हैं, यह सुहागिन महिलाओं का श्रृंगार होता हैं जिसे पैरों की उंगलियों में पहना जाता हैं बिछिया पहनने का चलन बहुत ही पुराना हैं। हिंदू धर्म में बिछिया पहनने का चलन वैदिक युग से ही चला आ रहा हैं। इसलिए आज भी नवदुर्गा पूजा में देवी मां को सोलह श्रृंगार के साथ बिछिया चढ़ाया जाता हैं। सुहागिन महिलाएं क्यों पहनती हैं पांव में बिछिया, जानिए