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हनुमान जी ने क्यों लिया पंचमुखी अवतार… अहिरावण और मां भवानी के आशीर्वाद से जुड़ी है कहानी
 

 

हनुमान जी का पंचमुखी अवतार भगवान राम और उनके अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण और रहस्यमयी घटना मानी जाती है। यह कथा महाभारत और रामायण के विभिन्न संस्करणों में दर्ज है, लेकिन विशेष रूप से यह घटना रामायण के एक महत्वपूर्ण प्रसंग से जुड़ी हुई है, जब हनुमान जी को अहिरावण और मां भवानी के आशीर्वाद से पंचमुखी अवतार लेना पड़ा।

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1. अहिरावण का उत्पन्न और उसकी चुनौती

अहिरावण, जो रावण का भाई था, एक राक्षस था जिसे माया और तंत्र की गहरी विद्या प्राप्त थी। उसने राक्षसों के राजा रावण से सुग्रीव, राम और उनके अनुयायियों को हराने का प्रण लिया था। अहिरावण ने राक्षसों की एक बड़ी सेना बनाई और लंका के युद्ध के दौरान राम और उनके साथी लक्ष्मण को पकड़ लिया और उन्हें कालकूट (मृत्यु के देवता) के पास ले गया। वह उन्हें अपने तंत्र-मंत्र से बंदी बना लेना चाहता था।

अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को एक गहरे और अंधेरे स्थान में कैद कर लिया और उन्हें अपने मंत्रों से शक्ति रहित कर दिया। वह चाहता था कि राम और लक्ष्मण उसकी बंदी बनकर मृत्यु के देवता काल के दरबार में चले जाएं और वहां पर उनका अंत हो।

2. पंचमुखी हनुमान जी का अवतार

हनुमान जी को जब यह पता चला कि राम और लक्ष्मण को अहिरावण ने बंदी बना लिया है, तो वह तुरंत उनकी सहायता के लिए निकले। हनुमान जी जानते थे कि अहिरावण की शक्ति बहुत प्रबल थी और उसे हराना आसान नहीं था। फिर, उन्होंने मां भवानी से आशीर्वाद लिया और मां के आशीर्वाद से पंचमुखी अवतार लिया।

पंचमुखी हनुमान जी के पांच सिर थे, जो उनके अद्वितीय शक्तियों का प्रतीक थे। हर सिर एक विशेष रूप में प्रकट होता था और अलग-अलग शक्तियां प्रदान करता था। उनके पांच सिर थे:

  1. वज्रमुख (वज्रपात से जुड़ा) – यह सिर राक्षसों के खिलाफ लड़ाई की शक्ति देता था।

  2. लायमख (शेर का सिर) – यह सिर साहस और मानसिक शक्ति को प्रकट करता था।

  3. गंधमूख (सुगंध से जुड़ा) – यह सिर आशीर्वाद और संतुलन की शक्ति देता था।

  4. नागमुख (सांप का सिर) – यह सिर तंत्र-मंत्र और माया को नियंत्रित करने की शक्ति देता था।

  5. हिरण्यक (सोने की तरह चमकने वाला सिर) – यह सिर परम ब्रह्मा की शक्ति को दिखाता था।

3. अहिरावण का वध

पंचमुखी हनुमान जी ने अहिरावण का सामना किया और उसकी शक्तियों का मुकाबला किया। पंचमुखी हनुमान जी के पांच सिरों की सामूहिक शक्ति ने अहिरावण के तंत्र-मंत्र और मायाजाल को नष्ट कर दिया। हनुमान जी ने अपने पांच सिरों की मदद से अहिरावण को हराया और राम और लक्ष्मण को मुक्त कर दिया। इसके बाद, हनुमान जी ने अहिरावण का वध किया और उसे मृत्युदेव के पास भेज दिया।

4. मां भवानी का आशीर्वाद

हनुमान जी ने अपनी शक्ति और पंचमुखी अवतार को मां भवानी के आशीर्वाद से प्राप्त किया था। यह आशीर्वाद उन्हें उनके वीरता, साहस और युद्ध कौशल में वृद्धि देने के लिए था। मां भवानी के आशीर्वाद से हनुमान जी ने अहिरावण को हराने में सफलता पाई और राम और लक्ष्मण की जान बचाई।

निष्कर्ष:

पंचमुखी हनुमान जी का अवतार न केवल हनुमान जी की महानता का प्रतीक है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि जब भक्तों की भक्ति और ईश्वर का आशीर्वाद एक साथ होते हैं, तो कोई भी संकट हल किया जा सकता है। हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार लेकर अहिरावण जैसे शक्तिशाली राक्षस को पराजित किया और यह साबित किया कि भक्त की शक्ति और भगवान का आशीर्वाद कभी व्यर्थ नहीं जाता।